बेंगलूरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी के मामले में जनता दल-सेक्युलर(जद-एस) नेता प्रज्वल रेवन्ना की अग्रिम जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
रेवन्ना की याचिका को तब खारिज कर दिया गया जब न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि उसका निर्णय केवल उनके खिलाफ दायर शिकायत पर आधारित था, न कि आरोपपत्र या चल रही जांच से किसी सामग्री पर।
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने कहा कि न्यायालय ने अपने निर्णय में आरोपपत्र का उल्लेख नहीं किया था और याचिका को केवल शिकायत तथा उच्चतम न्यायालय के प्रासंगिक निर्णयों के आधार पर खारिज किया गया था।
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने रेवन्ना की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आप निश्चिंत रहिए, मैंने आरोपपत्र के एक भी शब्द पर भरोसा नहीं किया है। याचिका को केवल शिकायत और शीर्ष न्यायालय के निर्णयों के आधार पर खारिज किया गया है।
रेवन्ना के कानूनी वकील ने आरोप पत्र दाखिल होने के कारण अग्रिम जमानत याचिका वापस लेने की मंशा व्यक्त की, लेकिन न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इतनी देर से वापसी की अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि आदेश पहले ही सुनाए जाने के लिए निर्धारित थे।
न्यायालय का यह फैसला विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा चल रही जांच के हिस्से के रूप में आया है, जो रेवन्ना के खिलाफ यौन उत्पीड़न और उत्पीड़न के कई आरोपों की जांच कर रहा है। यह उनके खिलाफ दर्ज अपनी तरह का चौथा मामला है।