बेंगलूरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 में मानवाधिकार कार्यकर्ता-पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के तीन आरोपियों को मंगलवार को जमानत दे दी। कलबुर्गी पीठ के न्यायमूर्ति एस विश्वजीत शेट्टी ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के तीनों आरोपी अमित दिगवेकर, केटी नवीन कुमार और एचएल सुरेश को जमानत दे दी।
तीनों आरोपियों ने सह-अभियुक्त मोहन नायक के मामले का हवाला देते हुए जमानत के लिए आवेदन किया, जिन्हें मुकदमे में देरी के कारण दिसंबर 2023 में उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी।
नायक ने कहा कि उस समय 527 आरोपपत्र गवाहों में से केवल 90 से पूछताछ की गई थी। उल्लेखनीय है कि राज्य के विरोध के बावजूद जिसमें विद्वान और कार्यकर्ता एमएम कलबुर्गी की हत्या के आरोपियों को जमानत देने से इनकार करने वाले पिछले उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया गया था। न्यायमूर्ति शेट्टी ने जमानत देने के पक्ष में फैसला किया।
दिगवेकर को पहले आरोपी अमोल काले के बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था, जिस पर हत्या के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का आरोप है। नवीन पर एक पार्क में तेरहवें आरोपी सुजीत के साथ साजिश रचने का आरोप है। सुरेश पर पंद्रहवें आरोपी विकास पाटिल को गौरी लंकेश का पता ढूंढने और अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियारों को छिपाने में मदद करने का आरोप है।
उल्लेखनीय है कि गौरी लंकेश की पांच सितंबर 2017 की रात को पश्चिम बेंगलुरु में उनके घर के बाहर दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। मुख्य साजिशकर्ता काले पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है। परशुराम वाघमोरे पर गोली चलाने का आरोप है, जबकि गणेश मिस्किन पर बाइक चलाकर भागने में मदद करने का आरोप है।
मामले में आरोपियों की सूची में अमोल काले, परशुराम वाघमोरे, गणेश मिस्किन, अमित बौड, अमित दिगवेकर, भरत कुराने, एचएल सुरेश, राजेश बंगेरा, सुधन्वा खुडेकर, शरद कालस्कर, मोहन नायक, वासुदेव सूर्यवंशी, सुजीत कुमार, मनोहर, विकास पाटिल, श्रीकांत पंगारकर, केटी नवीन कुमार और हृषिकेश देओडिकर शामिल हैं।
उक्त आरोपियों पर बेंगलूरु के राजराजेश्वरी नगर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम और कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (केसीओसीए) की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।