बेंगलूरु। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले में 26 भारतीयों की मौत के बाद केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में रह रहे 15 पाकिस्तानी नागरिकों को न निकालने पर राज्य की कांग्रेस सरकार आलोचना का सामना कर रही है।
अधिकारियों के अनुसार कर्नाटक में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों में 14 महिलाएं हैं जो भटकल में भारतीय नागरिकों से शादी कर चुकी हैं और एक व्यक्ति करवार में रहता है। इनके पास वैध दीर्घकालिक वीज़ा हैं जो हर दो साल में नवीनीकृत होते हैं, और उनकी नागरिकता की अर्जी लंबित है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि जब तक वीज़ा वैध है या आवेदन खारिज नहीं होता, तब तक उन्हें जबरन देश से नहीं निकाला जा सकता।
पहलगाम हमले के बाद गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि 48 घंटे में पाकिस्तानी नागरिकों को देश से निकाला जाए, सिर्फ दीर्घकालिक वीजा पर रह रहे हिंदुओं को छोड़कर लेकिन कर्नाटक सरकार ने कानूनी अड़चनों का हवाला देते हुए कहा कि ये लोग वैध तरीके से भारत आए हैं और 2010 से नागरिकता के लिए आवेदन लंबित हैं।
कर्नाटक सरकार की सफाई के बाद सोशल मीडिया पर गुस्सा फूट पड़ा, जहां ‘डिपोर्टपाकनेशनलस’ और ‘कर्नाटकपाकिस्तानी’ जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई लोगों ने सरकार पर आतंकवादी समर्थकों को संरक्षण देने और राजनीतिक फायदे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया। भटकल की आतंकवादी से जुड़ी पुरानी छवि ने लोगों की चिंताओं और विपक्ष के आरोपों को और हवा दी कि कांग्रेस सरकार देशभक्ति से ऊपर राजनीति रख रही है।
राज्य के अधिकारियों ने कहा कि मानवीय पहलुओं, खासकर उन महिलाओं के मामलों में जो भारतीय परिवारों में विवाह करके आई हैं, का भी ध्यान रखना ज़रूरी है और कोई भी कार्रवाई कानून के दायरे में रहकर ही की जा सकती है।
वहीं, राजनीतिक विवाद बढ़ गया है और भाजपा नेताओं ने कर्नाटक में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों को तुरंत देश से बाहर निकालने की मांग की है। उन्होंने कांग्रेस पर ‘देश से गद्दारी’ करने का आरोप भी लगाया। वर्तमान में, कर्नाटक में 88 पाकिस्तानी नागरिक रह रहे हैं, जिनमें से 84 के पास दीर्घकालिक वीज़ा और चार के पास अल्पकालिक परमिट हैं।