श्रीनगर। कश्मीरी पंडितों ने 34 साल बाद उत्तरी कश्मीर में बारामूला जिले के धोबीवान गांव में शिव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की।
धोबीवान गांव के पंडित और मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने तीन दशक से अधिक समय बाद एक साथ मंदिर के द्वार खोले। इसके बाद कश्मीरी पंडितों ने रविवार को विशेष प्रार्थना की और ‘प्रसाद’ वितरित किए। इस मौके पर गांव के गैर-प्रवासी पंडितों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और यह देखने लायक था। पिछली बार गांव में तीन दशक से भी अधिक समय पहले दोनों समुदायों द्वारा एक साथ ‘हवन’ किया गया था।
गांव के सरपंच सैयद अमीर सुहैल ने मीडिया को बताया कि धोबीवान गांव में परंपरा थी कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के सदस्य एक साथ अवसरों पर खुशियां साझा करते थे। उन्होंने कहा कि आज हम 30 साल से अधिक समय के बाद अपने पंडित भाइयों के साथ यहां एकत्र हुए हैं जो अपनी धार्मिक आस्था के तहत हवन कर रहे हैं और मुस्लिम सदियों से यहां उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते आए हैं।
सुहैल ने कहा कि जो पंडित 1989 में गांव से पलायन कर गए थे उनकी संपत्तियां सुरक्षित हैं और गांव छोड़ने के बाद से उसी स्थिति में हैं। आज जब वे हवन में शामिल हुए तो गांव के मुसलमानों ने उनका तहे दिल से स्वागत किया और गांव में दशकों बाद एक साथ धार्मिक आयोजन मनाने जैसा माहौल महसूस किया।
ग्राम धोबीवान के वीर जी नामक एक गैर-प्रवासी पंडित शिक्षक ने कहा कि उन्होंने 34 वर्षों के बाद स्वामी राम की पूजा के अवसर पर हवन का यह कार्यक्रम आयोजित किया। उन्होंने कहा कि आखिरी कार्यक्रम 1989 में हुआ था।
उन्होंने कहा कि मुझे आज भी वैसा ही माहौल महसूस हो रहा है जैसा इस गांव में 34 साल पहले दिखता था। आज हमने कुछ मुस्लिम मित्रों की मदद से नयी शुरुआत की और 34 साल बाद इस अवसर को मनाने के लिए प्रशासन तथा स्थानीय लोगों ने पूरा सहयोग दिया।
एक अन्य गैर-प्रवासी पंडित, सुनील भान को कश्मीरी पंडितों और उनके मुस्लिम ग्रामीणों को एक साथ इस अवसर का जश्न मनाते हुए देखकर खुशी महसूस हुई। उन्होंने कहा कि मुझे आज वही भाईचारा और मिट्टी की खुशबू महसूस हो रही है जिसे हम इतने सालों तक महसूस करते रहे।