अजमेर। राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 811वे सालाना उर्स पर आज बड़े कुल की धार्मिक रस्म के साथ सालाना उर्स विधिवत संपन्न हो गया।
अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह पर आज सुबह बड़ा कुल जिसे नवी का कुल कहा जाता है पर सुबह आठ बजे खुद्दाम-ए-ख्वाजा ने मजार शरीफ पर कुल की रस्म अदा की और आस्ताना शरीफ के साथ दरगाह परिसर को केवड़े एवं गुलाबजल से धुलाई कर देश में अमन चैन, खुशहाली की दुआ की।
इस दौरान जायरीनों को जियारत के लिए आस्ताना में प्रवेश नहीं करने दिया गया। कुल की रस्म में खुद्दाम ए ख्वाजा ने ही सभी धार्मिक क्रिया पूरी की और फातिहा के बाद खादिमों की संस्था अंजुमन की ओर से उर्स संपन्न होने का ऐलान कर दिया गया।
बड़े कुल के मौके पर देश दुनिया से आए ख्वाजा के दीवानों की सकुशल घर वापसी के लिए भी दुआ की गई। इतना ही नहीं उर्स के शांतिपूर्वक एवं सफलता के साथ संपन्न होने पर सभी का शुक्रिया अदा किया गया।
उर्स के समापन के बाद पाक जायरीन का जत्था स्वदेश लौटा
अजमेर में ख्वाजा साहब के 811वें सालाना उर्स के समापन के साथ ही पड़ोसी देश पाकिस्तान से आया 240 जायरीनों का जत्था आज सायं अपने वतन के लिए अजमेर से लौट गया।
अजमेर से पाक जत्था अजमेर-अमृतसर रेलगाड़ी के जरिए यहां से कड़ी सुरक्षा के बीच रवाना हुआ जो कल दो फरवरी की सुबह अटारी बॉर्डर पहुंचकर अपने देश में प्रवेश कर जाएगा। इससे पहले अजमेर में उनके आवास स्थल से सुरक्षा के बीच उन्हें रोडवेज बसों के जरिए रेलवे स्टेशन लाया गया और यहां से सभी की पुख्ता जांच के बाद उन्हें अजमेर से अमृतसर की ओर जाने वाली ट्रेन में सुरक्षाकर्मियों के साथ रवाना किया गया।
अजमेर स्टेशन पर मीडिया से बातचीत करते हुए पाकिस्तानी जत्थे के सदस्यों ने भारत सरकार, अजमेर प्रशासन व सभी का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने बेहतर व्यवस्थाओं और अच्छे खानपान के लिए भी धन्यवाद किया और दोनों मुल्कों के बेहतरीन संबंधों की बात कहते हुए आने जाने के सिलसिले को हमेशा बनाए रखने की बात की। एक पाकिस्तानी मुसाफिर ने कहा कि अजमेर आना उनकी जिंदगी के लिए हमेशा यादगार सफर रहेगा।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान से 240 जायरीन 25 जनवरी को अजमेर उर्स में शिरकत करने यहां आए थे और आज एक फरवरी की शाम यहां से पुनः लौट गए।