अजमेर। राजस्थान के अजमेर में दरगाह के 85 फुट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की धार्मिक रस्म के साथ ही सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें सालाना उर्स की आज अनौपचारिक शुरुआत हो गई। अब रजब माह का चांद दिखाई देने पर छह दिवसीय सालाना उर्स का आगाज 12 या 13 जनवरी से होगा।
अजमेर शरीफ में झंडे का जुलूस दरगाह गेस्ट हाउस से शानोशौकत के साथ शुरू हुआ। भीलवाड़ा का गौरी परिवार अपने मुखिया फकरुद्दीन गौरी की अगुवाई में चला। गाजेबाजे, ढोल ताशो की गूंज और साथ में ख्वाजा की शान में कव्वाली का दौर चला। अस्र की नमाज के बाद 25 तोपों की सलामी के साथ रोशनी से पहले बुलंद दरवाजे पर झंडा पेश कर दिया गया।
जुलूस से झंडा चढ़ाने तक एक झलक के लिये आशिकाना-ए-ख्वाजा उमड़ पड़े। दरगाह बाजार, दरगाह परिसर तथा आसपास की होटलों, इमारतों पर अकीदतमंदों की भीड़ डटी रही। अकीदतमंदों में झंडे को चूमने की होड़ लगी रही। पुलिस प्रशासन की सख्ती और मोटे रस्सों की रोक के बावजूद धक्का मुक्की तथा होड़ बनी रही।
अजमेर प्रशासन एवं पुलिस अधिकारी झंडे की रस्म के दौरान मौजूद रहकर मार्गदर्शन करते रहे। दरगाह कमेटी तथा दोनों अन्जुमनों के पद्धाधिकारी भी स्थिति को नियंत्रित करने में लगे रहे। जुलूस के दौरान दरगाह की ओर आवाजाही भी रोक दी गई। झंडे के साथ ही अब आस्ताने पर खिदमत का समय अब दोपहर के बजाय रात आठ बजे का हो गया।
सालाना उर्स पर चांद रात यानी 12 जनवरी को तड़के जन्नती दरवाजा भी छह दिनों के लिये खोला जायेगा। चांद नहीं दिखा तो 13 जनवरी से उर्स के सभी धार्मिक आयोजन होंगे। उर्स का विधिवत समापन 22 जनवरी को बड़े कुल की रस्म के साथ होगा।