जयपुर। राजस्थान में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली कूच करने के लिए विभिन्न जगहों से सोमवार को जयपुर के लिए अपने ट्रैक्टरों के साथ रवाना हुए किसानों को पुलिस प्रशासन ने रोक दिया।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने यह जानकारी देते हुए कहा कि
राजस्थान सरकार ने दमनात्मक रवैया अपनाकर सैकड़ों ट्रैक्टरों को जयपुर जाने से रोक कर किसानों की न्यायोचित मांगों की आवाज को दबाकर लोकतंत्र को कुचलने का काम किया है। इसके लिए पुलिस प्रशासन गांवों को पुलिस छावनी बना दिया। गांव से बाहर निकलने वाले रास्तों पर बैरियर लगा दिए और किसानों में काम करने वालों को डराया धमकाया।
उन्होंने बताया कि टोंक जिले के मंडावर गांव से मास्टर रामलाल कीर एवं जिला दूदू की ग्राम पंचायत दातरी के सरपंच भागचंद को पुलिस ने अपनी अभिरक्षा में ले लिया। अजमेर जिले के अध्यक्ष प्रहलाद जाट को रात में और सुबह साढ़े पांच बजे सोते हुए को जगाकर ट्रैक्टरो को रोकने के लिए दबाने का प्रयास किया।
अजमेर जिले की तहसील किशनगढ़ के ग्राम डीडवाड़ा-400, खंडाज -30, टिहरी-50 से अधिक ट्रैक्टर कूच करने वाले थे। इसी प्रकार तहसील अराइ के ग्राम कटसूरा – 400, रारी -50 एवं सील -100 ट्रैक्टरों को पुलिस द्वारा रोका गया।
उन्होंने बताया कि दूदू जिले के गांव माधोपुरा में पुलिस का पहरा रात से आरंभ हो गया था रास्तों पर बैरियर भी लगा दिए गए। जिससे 60 से अधिक ट्रैक्टर गांव के बाहर नहीं आ पाए। ग्राम भोजपुरा, रहलाना, गोपीपुरा, पड़ासोली, गैंजी, मुवाल से आने वाले ट्रैक्टरों को भी पुलिस ने अपने गांव में रूकने को विवश कर दिया। खुडियाला, हरसोली, बागेत से भी आने वाले अनेकों को ट्रैक्टरों को गांव में ही रुकना पड़ गया।
ऐसी स्थिति में किसानों ने दूदू में चर्चा कर पूर्व घोषणा के अनुरूप गांव बंद आंदोलन करने का संकल्प लिया। इसके संबंध में आगामी बैठक में गांव बंद की रणनीति पर विचार कर निर्णय लिया जाएगा। जिसमें गांव वाले अपने गांव में रहकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे। इस आह्वान पर कोई भी गांव वाला गांव से बाहर नहीं आएगा। बाहर वालों को आवश्यकता होने पर दूध, सब्जी एवं अनाज गांव से खरीद कर ले जा सकेंगे। सरकार को सटीक उत्तर देने के लिए ही इस मार्ग का चयन किया गया है।
उन्होंने बताया कि आज के कूच में अजमेर एवं दूदू जिले के ही किसान भाग लेने वाले थे इसके बावजूद टोंक जिले में डारडा हिंद टोल टैक्स तक ट्रैक्टर पहुंच गए थे। जिन्हें पुलिस प्रशासन द्वारा जयपुर जाने से रोक दिया गया। इस कूच को सफल बनाने के लिए पिछले सात दिनों से किसान महापंचायत के जागरूक कार्यकर्ता गांव-गांव घूम रहे थे।
किसानों के कूच को रोक देने के बाद जाट ने किसानों को उनकी उपज के दामों से वंचित करने के लिए सरकार की दमनकारी नीति को उत्तरदाई बताते हुए कहा कि इस कूच की प्रमुख मांग कृषि उपजों का सरकारों द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुनिश्चितता के लिए खरीद की गारंटी का कानून बनाना है।
इस प्रकार का कानून केंद्र भी बना सकता है एवं राज्य को तो इस प्रकार का कानून बनाने का संविधान ने अधिकार दिया हुआ है। इसमें भी रोचक तथ्य यह है कि राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में विहित प्रावधान के अनुसार घोषित एमएसपी से कम दामों पर क्रय-विक्रय को सरकार रोक सकतीं हैं किंतु यह प्रावधान बाध्यकारी नहीं होने के कारण किसानों को अपनी उपज एमएसपी से कम दामों में बेचने को विवश होना पड़ता है।