कोलकाता। पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट(डब्ल्यूबीजेडीएफ) ने शुक्रवार को राज्य के स्वास्थ्य सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया। प्रदर्शनकारी डाॅक्टरों द्वारा कल रात की गई घोषणा के अनुसार, वे शनिवार से सरकारी अस्पतालों के आपातकालीन विभागों में फिर से काम शुरू करके आंशिक रूप से अपना काम बंद वापस लेने के लिए तैयार हैं।
डब्ल्यूबीजेडीएफ ने कल रात आम सभा की बैठक में दक्षिण बंगाल के जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए शनिवार से आपातकालीन विभागों में ड्यूटी फिर से शुरू करने का निर्णय लिया, जहां हजारों लोग असहाय हो चुके हैं।
डब्ल्यूबीजेडीएफ ने हालांकि, घोषणा की कि उनका आंदोलन जारी रहेगा और वे अपनी 31 वर्षीय महिला सहकर्मी को न्याय दिलाने तक बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में कार्य करने से दूर रहेंगे। आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आरजीकेएमसीएच) में नौ अगस्त को प्रशिक्षु डॉक्टर की कथित रूप से दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।
डॉक्टरों ने यह भी कहा कि राज्य के स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम को हटाने की उनकी मांग को सरकार ने स्वीकार नहीं किया है। स्वास्थ्य भवन के सामने विरोध प्रदर्शन 10 सितंबर को शुरू हुआ और नौ अगस्त से सरकारी अस्पतालों में उन्होंने काम करना बंद कर दिया था।
एक प्रदर्शनकारी डॉक्टर देबाशीष हलदर ने कहा कि वे आज दोपहर तीन बजे स्वास्थ्य भवन से साल्ट लेक स्थित सीजीओ कॉम्प्लेक्स तक विरोध रैली शुरू करेंगे, जहां प्रशिक्षु डॉक्टर दुष्कर्म-हत्याकांड और आरजीकेएमसीएच में भ्रष्टाचार तथा अनियमितताओं की जांच कर रही संघीय एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का कार्यालय है।
उन्होंने कहा कि रैली के बाद डॉक्टर अपने-अपने अस्पतालों में लौट आएंगे और आपातकालीन विभागों में सेवाएं फिर से शुरू करेंगे। उन्होंने राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशिक्षु डॉक्टर की याद में आज से अभय चिकित्सा शिविर स्थापित करने की भी घोषणा की है।
विरोध प्रदर्शन में शामिल डॉ. असपाफुल्ला नैया ने कहा कि हम पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अपने सभी वादों को लागू करने के लिए एक सप्ताह तक इंतजार करेंगे और अगर वे पूरे नहीं हुए तो हम फिर से काम बंद कर देंगे।
इस बीच, कल्याणी जेएनएम अस्पताल की कॉलेज परिषद ने 40 मेडिकल छात्रों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है, जिनपर साथी छात्रों और डॉक्टरों को धमकी देने का आरोप है।