सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन का जीवन वर्तमान व भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत : कंवल प्रकाश

पुष्पांजलि के साथ सात दिवसीय समारोह संपन्न
अजमेर। सिंधुपति महाराजा दाहरसेन को इतिहास में सदैव सिंधु संस्कृति के साथ-साथ हिंदू कुल रक्षक के रूप में याद किया जाएगा। उनका संपूर्ण जीवन वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। राष्ट्र सर्वाेपरि भावनाओं से ओतप्रोत उनके परिवार का बलिदान युवा पीढ़ी में संबल प्रदान करेगा।

हरी भाऊ उपाध्याय नगर विस्तार पुष्कर रोड स्थित दाहरसेन स्मारक पर उनके 1355वीं जयंती समापन समारोह में रविवार को राजस्थान धरोहर एवं प्रौन्नति प्राधिकरण के पूर्व सदस्य कंवल प्रकाश किशनानी ने कहा कि महाराजा दाहरसेन ने राष्ट्र रक्षा के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया था। उनकी पत्नी लाडी बाई का जौहर एवं दो पुत्रियां सूर्य कुमारी एवं परमल ने भी अपने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए प्राण न्योछावर किए। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ऐसे वीर योद्धा एवं संपूर्ण परिवार के बलिदान युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेंगे।

इस अवसर पर भारतीय सिन्धू सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि ऐसे महान योद्धा इतिहास में सदैव याद किए जाएंगे जिनका संपूर्ण जीवन राष्ट्र रक्षा एवं हिंदू धर्म की रक्षा को समर्पित रहा। सिन्ध की वीर गाथाओं को सदैव जीवंत रखने में इस तरह के आयोजन एवं पाठ्यक्रमों में उनके जीवन परिचय को सदैव उचित स्थान मिलना चाहिए।

सिन्धी सेन्ट्रल पंचायत के महासचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार गिरधर तेजवानी ने कहा कि महाराजा दाहरसेन के साथ उनकी पत्नी लड़ो भाई एवं पुत्रियों के अभेद्य साहस और वीरता को इतिहास सदैव याद रखेगा जिन्होंने अपने वीर पति एवं शौर्य मूर्ति पिता के आदर्शों पर चलते हुए ने सिर्फ शत्रुओं का संहार किया, अपितु उनके हाथों में पड़ने से बचने हेतु आत्मसर्ग कर लिया। उन्होंने ऐसे महान योद्धा एवं परिवार की गाथाओं को जन-जन तक पहुंचाने हेतु हर स्तर पर प्रयास किए जाने का आह्वान किया।

सात दिवसीय समारोह की जानकारी देते हुए विनीत लोहिया ने कहा कि ऐसे वीर शिरोमणि परिवार के आदर्श भारतीय संस्कृति की अमिट पहचान है। ऐसी धरोहर को जन-जन तक पहुंचने में स्वदेशी खेलों का आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम और प्रयास है। इस अवसर पर समारोह में उपस्थित सभी गणमान्य लोगों ने महाराजा दाहरसेन की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित की तथा हिंगलाज माता व जगद्गुरू श्रीचन्द्र मंदिर पर पूजा अर्चना की गई।