सन्तोष खाचरियावास
अजमेर। आम चुनाव का बिगुल बजते ही शहर के कांग्रेसी अपनी-अपनी बाल्टी-चरियां लेकर टोरंटो के बाड़े में उमड़ पड़े। आयोजन के दूल्हे थे कांग्रेस प्रत्याशी एवं अजमेर डेयरी के बेताज बादशाह रामचन्द्र चौधरी। उनके लिए ही पहली बार शहर कांग्रेस कमेटी ने यह बैठक रखी। टिकट मिलने पर न सिर्फ उनका स्वागत किया, बल्कि उन्हें जिताने की कसमें-सौगंध भी खाई। रामचन्द्र गदगद हो उठे। बिन बुलाए-बिन सताए इत्ते सारे ग्वाले सामने देख जी भर आया। आभार जताया।
मौका पाकर सयाने ग्वालों ने तुरंत ‘छान’ लगा दी, दुहारी के लिए। (छान : गाय को दूहने के लिए पिछले पैरों में बांधे जाने वाली रस्सी) किसकी बाल्टी में कितनी बूंदे आएगी, किसकी चरी छलकेगी, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा, फिलहाल ठाले बैठे ग्वालों की आंखों में दूध-दही की नदियां बहने लगी हैं। सबने मिलकर जीत के ख्वाब दिखाए, हांक में हांक मिलाई, रामचन्द्र गदगद।
उन्हें ‘पुराने दिन’ (18 मई 2023) याद आ गए। गोविन्दम का ‘संवाद’ याद आ गया।एआईसीसी सचिव एवं कांग्रेस राजस्थान की सह प्रभारी अमृता धवन की अजमेर यात्रा का दृश्य याद आ गया। 18 मई को वैशाली नगर के गोविन्दम समारोह स्थल पर संवाद कार्यक्रम में शहरी सयानों और ग्रामीण ग्वालों के बीच जिस तरह का ‘संवाद’ हुआ, वह याद आ गया।
कुर्सियां हमने मंगवाई, टेंट का खर्चा हमने किया, तुम लोग कैसे आकर बैठ गए? बेइज्जती भरे इन सवालों के बीच एक भीम तक को रुला दिया था। ‘डेयरी के लोगों’ का यहां क्या काम? कहकर हिकारत से जिन हाथों ने धकेला था, आज उन्हीं हाथों में फूलमालाएं थी और मुंह से मक्खन टपक रहा था। अब नजारा उलट था। चेहरे वही थे, कुर्सियां भी उनकी थी, टेंट भी उनका था लेकिन खास मेहमान बने रामचन्द्र। …रामचन्द्र गदगद।
ये ऐका, ये प्यार…किसी को भी भावुक कर सकता है। लेकिन सावधान! मुगालते में आ गए तो फिर पछतायेंगे। इस बार युद्ध का मैदान बड़ा है…चार गांव नहीं बल्कि चार सौ कोस की परिक्रमा करनी पड़ेगी। भितरघातियों को भी घी-दूध से नहलाना पड़ेगा.. हर चरी-बाल्टी में दूध टपकाना पड़ेगा। कई बिना फिरे ही चरेंगे, उनको नजरअंदाज करना पड़ेगा। अपनों से ही संघर्ष कर समुद्र मंथन करना होगा, तब ही जीत का अमृत हाथ लगेगा।