कमजोर माने जा रहे नीतीश कुमार बने किंगमेकर

पटना। बिहार में पिछले दो दशक से अपनी शर्तों पर ही राजनीति करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस बार के लोकसभा चुनाव के परिणाम ने किंगमेकर बना दिया है।

बिहार में चार बार पाला बदल चुके नीतीश कुमार को उनकी इस सियासी चाल के कारण भले ही राजनीतिक पंडित कमजोर और थका मान रहे हों लेकिन राज्य की जनता का उनपर कायम भरोसे ने उनकी झोली में बारह सीट देकर उन्हें किंगमेकर की भूमिका में लाकर खड़ा कर दिया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अकेले अपने दम पर सरकार बनाने के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 272 से 29 सांसद कम रहने और इंडी गठबंधन के भी 40 सांसद कम होने की वजह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का महत्व दोनों खेमों में बढ़ गया है।

मतगणना के रुझान में मिल रहे संकेत को देखते हुए नीतीश कुमार आज अपने आवास पर ही राजनीतिक गुना-भाग में मशगुल रहे। उनकी खामोशी ने कयासों का बाजार गर्म कर दिया है। इस बीच भाजपा नेता और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी उनके आवास पर मुलाकात करने के लिए गए लेकिन उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई या नहीं, इस पर दोनों ओर से चुप्पी साध ली गई है।

बिहार के 40 संसदीय क्षेत्रों में से 30 पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने जीत हासिल की है जबकि इंडी गठबंधन को 9 सीटों और एक पर निर्दलीय को जीत मिली है। बिहार में नीतीश कुमार का ही प्रभाव रहा कि उनकी पार्टी 16 सीट पर लड़कर 12 जीतने में कामयाब रही, साथ ही उसकी सहयोगी भाजपा 17 में से 12, लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास पांच में से पांच और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा एक सीट पर अपना परचम लहरा सके। वहीं, अपने विरोधियों को दस सीटों पर रोकने में वह सफल रही।

इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पुत्री और पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में भाजपा के रामकृपाल यादव को पराजित करने वाली मीसा भारती ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान दावा किया कि केंद्र में इंडी गठबंधन की सरकार बनने जा रही है और हमलोगों ने क्षेत्र की जनता से जो वादा किया है उसे पूरा किया जाएगा। उनसे जब नीतीश कुमार के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इंतजार कीजिए अभी बहुत-कुछ बाकी है। वे हमारे चाचा हैं, हम क्यों नहीं उनका स्वागत करेंगे।

वहीं, जदयू के प्रवक्ता राजवी रंजन ने कहा कि नीतीश कुमार राजग के साथ मजबूती के साथ हैं और वह कहीं जाने वाले नहीं हैं। इस बार राजग की सरकार में जदयू भी शामिल होगा और जनता से किए गए वादों को पूरा किया जाएगा।

गौरतबल है कि नीतीश कुमार ने पहली बार 2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद भाजपा से अपना 17 वर्ष पुराना संंबंध तोड़ दिया था और राजद के साथ हो गए थे लेकिन 2017 में फिर से राजद को छोड़कर भाजपा के साथ चले गए थे।तीसरी बार कुमार 2022 के अगस्त में पाला बदलकर राजद के साथ हो गए लेकिन फिर वह ज्यादा दिनों तक राजद के साथ नहीं रह पाए और इसी साल जनवरी में फिर से भाजपा के साथ आ गए।

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