शिमला। सियासत को शतरंज की बिसात से जोड़कर वर्णित किया जाता है। एक चूक ही राजा का हिसाब चुकता कर सकती है। ऐसी ही सियासत के भंवर में मंडी से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत भी फंसती नजर आ रही है। इस भंवर से निकल पाएगी या नहीं, ये तो भविष्य के गर्भ में ही छिपा है, लेकिन ये तय है कि डगर कांटों भरी है।
एक तरफ राज परिवार के सदस्य व पूर्व सांसद महेश्वर सिंह रूठे-रूठे हैं तो दूसरी तरफ पार्टी के कार्यकर्ता भी कंगना को पैराशूट से उतारने को लेकर खफा हैं। इस पर बड़ी बात ये भी है कि छह बार के मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी व प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का मंडी संसदीय क्षेत्र में खासा रसूख है। वह मौजूदा सांसद भी हैं।
जयराम ठाकुर फैक्टर की बदौलत भाजपा ने मंडी जनपद में 10 में से नौ सीटें जीतने में सफल हुई थी। लेकिन, ये करिश्मा कंगना के लिए चला पाने में पूर्व मुख्यमंत्री व विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर कामयाब हो पाएंगे या नहीं, इस पर भी सस्पेंस है।
गौरतलब है कि मंडी जनपद की धर्मपुर सीट मौजूदा में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। ऐसे में कंगना के संसदीय क्षेत्र के मंडी जनपद में नौ की नौ सीटें भाजपा की झोली में है। फिलहाल, कंगना के चुनाव प्रचार में भी कोई ऐसी चमक नजर नहीं आई जो मतदाताओं में खासी छाप छोड़ सके। अभिनेत्री कंगना का चुनाव प्रचार मोदी या फिर हिन्दुत्व से ही जुड़ा नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री को विष्णु का अवतार बताने वाली कंगना ने खुद को राम सेतु की गिलहरी तक बताया।
कंगना को चुनाव प्रचार शुरू किए हुए कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन युवाओं में भी खास प्रभाव नहीं छोड़ पा रही। सोशल मीडिया को अगर कंगना निष्पक्ष होकर देखे तो हर पोस्ट पर यूजर्स तीखी टिप्पणियां करने से भी गुरेज नहीं कर रहे। कंगना को टिकट मिलने से पहले ये भी अवधारणा थी कि अभिनेत्री के पक्ष में चुटकी बजाकर सोशल मीडिया में युवाओं की पोस्ट बाढ़ की तरह आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
परंपरागत तौर पर मंडी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का प्रभुत्व रहा है। राज्य में भाजपा की सरकार होने के बावजूद लोकसभा के उप चुनाव में कांग्रेस की मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने बाजी मार ली थी। रामपुर इलाके में परिवार का जबरदस्त प्रभाव है। ये क्षेत्र कुल्लू जनपद में भी असर डालता। बहरहाल, बड़ा सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या कंगना ने सियासत की बिसात पर उतरकर एक पंगा ले लिया है। नजरें इस बात पर भी टिकी हुई हैं कि क्या मोदी की लहर ही कंगना का ब्रह्मअस्त्र होगी।