नई दिल्ली। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देने के लिए मंगलवार को खड़े हुए तो समूचा विपक्ष हंगामा करते हुए नारेबाजी करने लगा।
मोदी के भाषण के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने सदन में जबरदस्त हंगामा किया जिसके कारण प्रधानमंत्री को हंगामे के बीच ही अपना भाषण देना पड़ा। अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों को रोकने का प्रयास किया लेकिन जब वे नहीं माने तो बिरला विपक्ष के नेता पर बिफरने लगे।
बिरला ने राहुल गांधी को कडी फटकार लगाते हुए कहा कि आपका तरीका गलत है। प्रतिपक्ष के नेता की गरिमा इस तरह की नहीं होती है। आपको हंगामा बंद कराना चाहिए लेकिन आप गलत तरीका अपना रहे हैं। प्रतिपक्ष के नेता के विपरीत आचरण करके विपक्ष के नेता की गरिमा घटा रहे हैं।
मेरे भाषण के अंश हटाना ‘संसदीय लोकतंत्र के ख़िलाफ़’ : राहुल
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सदन की कार्यवाही से उनके भाषण के अंश हटाने पर हैरानी व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि यह ‘संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ’ है।
गांधी ने आज यहां संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा कि मोदी जी की दुनिया में सच्चाई को मिटाया जा सकता है। परंतु वास्तव में सत्य को मिटाया नहीं जा सकता। मुझे जो कहना था मैंने कह दिया, वे जितना चाहें मिटा लें। सत्य तो सत्य है।
उन्होंने इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी इस बारे में एक पत्र लिखा और कहा कि मैं आपको एक जुलाई को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मेरे भाषण से निकाली गई टिप्पणियों और अंशों के संदर्भ में यह पत्र लिख रहा हूं। मेरी टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाना संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है। मैं यह देखकर स्तब्ध हूं कि जिस तरह से निष्कासन की आड़ में मेरे भाषण का काफी हिस्सा कार्यवाही से हटा दिया गया है।
गांधी ने कहा कि निकाले गए अंश नियम 380 के दायरे में नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि सदन का प्रत्येक सदस्य जो लोगों की सामूहिक आवाज़ का प्रतिनिधित्व करता है ,वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 105 (1) में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और सदन के पटल पर लोगों की चिंता उठाना प्रत्येक सदस्य का अधिकार है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों के प्रति अपने दायित्वों का पालन करते हुए मैंने इन शब्दों का सोच समझकर सदन में प्रयाग किया है।
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