भोपाल। आगामी लोकसभा चुनाव के पूर्व मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सांसदों को चुनावी मैदान में उतार कर अपनी जिस रणनीति से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था, चुनाव परिणामों ने उस रणनीति को काफी हद तक सफल साबित कर दिया है।
भाजपा ने चुनाव से लगभग दो महीने पहले तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को विधानसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाया था। इनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल जैसे दिग्गज नेताओं का नाम भी शामिल था। उस समय इस कदम ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा और पार्टी की वो सूची चर्चाओं का केंद्र बन गई। इसी सूची में भाजपा आलाकमान ने पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को कांग्रेस की कही जाने वाली इंदौर-एक सीट से प्रत्याशी बनाया था।
चुनाव परिणामों ने मध्यप्रदेश में जिन सांसदों को सर्वाधिक सफल साबित किया है, उसमें सबसे अहम नाम पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और खजुराहो संसदीय क्षेत्र के सांसद विष्णुदत्त शर्मा का है। शर्मा को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाया गया था, लेकिन बतौर अध्यक्ष लगभग पूरी पार्टी की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। उनके संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभाओं पर भगवा फहरा है। इनमें चांदला, राजनगर, गुन्नौर, पवई, पन्ना, मुड़वारा, बहोरीबंद और विजयराघौगढ़ शामिल हैं।
चुनाव नतीजों में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल न केवल अपनी सीट नरसिंहपुर पर विजयी बन कर उभरे, बल्कि इस जिले की सभी चार सीटें भाजपा के खाते में डलवाने में भी कामयाब रहे। जिले की चार सीटों पर नरसिंहपुर से पटेल स्वयं, गाडरवारा से सांसद राव उदयप्रताप सिंह, गोटेगांव से महेंद्र नागेश और तेंदूखेड़ा से विश्वनाथ सिंह विजयी घोषित हुए। इनमें से तेंदूखेड़ा सीट लंबे समय से कांग्रेस के पाले में थी।
कमोबेश इसी प्रकार के परिणाम पार्टी महासचिव विजयवर्गीय के क्षेत्र इंदौर में भी दिखाई दिए। चुनाव परिणामों में इंदौर की सभी नौ सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल कर इंदौर को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं में ला दिया है। इंदौर की इंदौर एक से विजयवर्गीय स्वयं, इंदौर दो से रमेश मेंदोला, इंदौर तीन से गोलू शुक्ला, इंदौर चार से मालिनी गौड़, इंदौर पांच से महेंद्र हार्डिया, देपालपुर से मनोज पटेल, सांवेर से तुलसी सिलावट, महू से ऊषा ठाकुर और राऊ से मधु वर्मा ने पार्टी प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल कर पूरे इंदौर को भगवामय कर दिया है। पिछली बार इनमें से चार सीटें कांग्रेस के पास थीं।
हालांकि केंद्रीय मंत्री तोमर अपने जिले मुरैना में छह में से तीन सीटें ही भाजपा की झोली में डलवा सके। मुरैना की तीन सीटें दिमनी, सबलगढ़ और सुमावली ही भाजपा के खाते में जा सकीं। तीन अन्य सीटें अंबाह, जौरा और मुरैना पर कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई।
वहीं सांसद राकेश सिंह के गृह क्षेत्र जबलपुर की सात सीटें भाजपा के खाते में आई हैं। उन्हें जबलपुर पश्चिम से प्रत्याशी बनाया गया था। उन्होंने इस सीट पर 30 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की। इसके अलावा जबलपुर की पाटन, बरगी, जबलपुर उत्तर, जबलपुर पश्चिम, जबलपुर कैंट, पनागर और सिहोरा भी भाजपा के खाते में आई हैं। एकमात्र जबलपुर पूर्व सीट से कांग्रेस को जीत हासिल हुई है।
सांसद रीति पाठक के गृह क्षेत्र सीधी जिले की दो सीटें सीधी और सिंहावल से भाजपा प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है, जबकि दो अन्य कांग्रेस के नाम हुईं।
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला से सांसद थे। पार्टी ने उन्हें मंडला की ही निवास विधानसभा से उतारा, लेकिन उनकी हार ने सभी की निगाहें इस सीट की ओर मोड़ दीं। कमोबेश यही स्थिति गणेश सिंह की रही। सतना से सांसद रहे गणेश सिंह को पार्टी ने इस बार सतना विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन वे स्वयं अपनी सीट नहीं बचा सके। उन्हें कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाह ने पराजित कर दिया।