तीर्थराज प्रयाग : सर्व सिद्ध योग में पौष पूर्णिमा पर लगेगी आस्था की डुबकी

प्रयागराज। तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के संगम पर हर साल लगने वाला दुनिया के सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक माघ मेला में पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ छह जनवरी से शुरू हो रहा है। करीब डेढ़ माह तक चलने वाले मेले के दौरान देश दुनिया से करोड़ो श्रद्धालु सर्व सिद्ध योग में आस्था की डुबकी लगाएंगे।

मेले के दौरान पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, माघ पूर्णिमा के साथ 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व तक कुल पांच स्नान पर्व होंगे। मेले में कल्पवास करने और आस्था की डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए संगम की विस्तीर्ण रेती पर बसाया गया तंबुओं का अस्थाई शहर इन दिनों गहमागहमी से भरपूर है।

प्राचीन काल से संगम तट पर जुटने वाले माघ मेले की जीवंतता में आज भी कोई कमी नहीं आई है। मेले में आस्था और श्रद्धा से सराबोर पुरानी परम्पराओं के साथ आधुनिकता के रंग-बिरंगे नजारे देखने काे मिलते हैं। मेले के दौरान दूर-दराज से आकर संगम तट पर कल्पवास करने वाले साधु-संत, संन्यासी, दिव्यांगों और गृहस्थों द्वारा किए जाने वाले भजन-कीर्तन की एक झलक पाने के लिए बड़ी तादाद में विदेशी सैलानियों का भी जमघट लगा रहता है।

भारतीय संस्कृति और आध्यात्म से प्रभावित कई विदेशी भी इस दौरान ‘पुण्य लाभ’ के लिए संगम स्नान करते नजर आते हैं। तीर्थयात्री डुबकी लगाने और कल्पवास करने प्रयागराज में एकत्रित होते हैं। दुनिया के किसी भी कोने में माघ मेले के दौरान करोड़ों की संख्या में इतने लोग एक जगह कहीं और नहीं एकत्रित होते हैं। इसलिए यहां की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद करने के लिए दुनिया भर से पर्यटक खींचे चले आते हैं।

राधा कृष्ण गौरी शंकर संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य सरस्वती प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि इस बार पौष पूर्णिमा पर तीन योगों का मिलन होगा। इंद्र योग, ब्रह्म योग के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग में संगम पर देश दुनिया के कोने-कोने से पहुंचने वाले संत-भक्त, श्रद्धालु और कल्पवासी आस्था की डुबकी लगाएंगे।

उन्होंने बताया कि पौष पूर्णिमा से ही संगम की रेती पर जप, तप और ध्यान के साथ मास पर्यंत कल्पवास का आरंभ हो जाएगा। पौष पूर्णिमा इस बार छह जनवरी को भोर दो बजकर 17 मिनट से लग जाएगी। अगले दिन सात जनवरी की सुबह चार बजकर 36 मिनट तक पूर्णिमा रहेगी। ऐसे स्थिति में उदया तिथि की मान्यता के तहत छह जनवरी को ही पौष पूर्णिमा का स्नान होगा।

मेले में विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और विविधताओं का संगम भी देखने को मिलता है। देश के कोने कोने से लाखों श्रद्धालु आते हैं और पतित पावन संगम में आस्था की डुबकी लगाकर स्वयं को धन्य मानते हैं। कड़ाके की शीत लहर पर विश्वास की आस्था भारी पडती है।

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने मंगलवार को मेला क्षेत्र में तैयारियों का अवलोकन करने के बाद बताया था मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप माघ मेले को स्वच्छ, सुरक्षित एवं सकुशल ढंग से सम्पन्न कराया जाएगा। माघ मेला 2023 को वर्ष 2025 में होने वाले महाकुंभ के आयोजन के पूर्वाभ्यास के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने महाकुम्भ-2025 में लगभग 40 करोड़ लोगो के आने की सम्भावना व्यक्त किया था।

उन्होंने मेला क्षेत्र में स्नानघाटों का अवलोकन किया। श्रद्धालुओं और स्नानार्थिंयों का इस भाव से सेवा और सहयोग करें कि वे अच्छा संदेश लेकर मेला क्षेत्र से जाए।

मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने मेला क्षेत्र की तैयारियों का जायजा लिया। इस दौरान बताया कि माघ मेला क्षेत्र में 14 स्नान घाट बनाए गए हैं, ताकि कल्पवासियों और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की अव्यवस्था का सामना न करना पड़े। मंडलायुक्त ने सभी घाटों पर अनिवार्य रूप से बैरिकेडिंग कराकर सर्कुलेटिंग एरिया की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

उन्होंने महावीर पुल के पास उत्तरी दिशा में बनाए जा रहे स्नान घाट का विस्तार कर उसे दक्षिण भाग में बढ़ाने के निर्देश दिए। अरैल में बनाए जा रहे स्नान घाट तथा टेंट सिटी का निरीक्षण करते हुए कहा कि माघ मेला में आने वाले श्रद्धालुओं को कुंभ जैसी सुविधा की अनुभूति हो।