अजमेर। 22 दिसम्बर को सुबह 8 बजकर 57 मिनट से सायन मत में सूर्य की मकर संक्रांति शुरू हो जाएगी और इसी के साथ राष्ट्रीय पौष मास शुरू होगा। सूर्य का उत्तरायण और शिशिर ऋतु भी 22 दिसम्बर से शुरू हो जाएगी। इसके साथ सर्दी का प्रभाव भी बढ जाएगा और हाड मांस कंपकंपाने लगेंगे।
पाश्चात्य देशों में सूर्य का सायन मत सिद्धांत माना जाता है। इस कारण सायन मकर संक्रांति 22 दिसंबर से शुरू होंगी जबकि भारतीय मत में सूर्य की मकर संक्रांति इस वर्ष 14 जनवरी की रात शुरू होगी।
सूर्य की सायन व निरयन संक्रान्तियां
सायन संक्रान्तियों के लगभग 23 व 24 दिन बाद निरयन संक्रान्तियां आती है। भारत में सूर्य की निरयन संक्रांति का मत माना जाता है और पाश्चात्य देशों में सायन सूर्य को ही माना जाता है।
निरयन व सायन सिद्धांत
निरयन सिद्धांत के अन्तर्गत पृथ्वी की परिक्रमा मे 360° पूर्ण होने के कारण भारत में निरयन सिद्धांत माना जाता है, जबकि पाश्चात्य देशों में सम्पात बिन्दु के पिछडने के कारण ही सूर्य के सायन सिद्धात को माना जाता है। हजारों साल पहले दोनों अयनांश एक ही स्थान पर थे ओर अयनांश शून्य था लेकिन प्रतिवर्ष सम्पात बिन्दु पिछडने के कारण लगभग दोनों मे 23° 44 ‘ का अंतर आ गया। अतः सायन के सूर्य के अंश निरयन सूर्य की अपेक्षा 23 °44’ अधिक है। पाश्चात्य देशों ने इस कारण सम्पात बिन्दु को मध्य नजर रख सूर्य के सायन मत को माना है और भारत में निरयन मत ही माना जाता है।
21 जून से 22 दिसम्बर तक सूर्य की यात्रा उतर से दक्षिण की ओर रहने के कारण दक्षिणायन कहलाता है और 22 दिसम्बर से 21 जून तक सूर्य की यात्रा दक्षिण से उतर की ओर होती है इसे उतरायन सूर्य कहा जाता है। निरयन सिद्धांत के अन्तर्गत वर्तमान में सूर्य धनु राशि में भ्रमण कर रहे हैं जबकि सायन सिंद्धात में सूर्य 22 दिसम्बर को मकर राशि में दिन को 8 बजकर 57 मिनट पर प्रवेश कर जाएंगे। आज यदि किसी का जन्म होता है तो सायन सिद्धांत मानने वालों की कुंडली में सूर्य मकर राशि में होगा तथा निरयन सिद्धांत मनाने वालों का सूर्य धनु राशि में लिखा जाएगा।
संतजन कहते हैं कि हे मानव जो भी हो अब शीत ऋतु अपने पूर्ण योवन पर आ चुकी है और इस ऋतु के मृत्यु तुल्य कष्टों से बचना ही आवश्यक है। शीत ऋतु का कहर अब बढता जा रहा है क्योंकि इस काल में इस की ही प्रधानता है यह कुछ भी कर सकती है।
इसलिए हे मानव इस शीत ऋतु के प्रकोप से सावधानी बरत तथा इससे बचने के लिए अपनी आन्तरिक ऊर्जा हर संभव बढा तथा इसके प्रतिरोध के लिए गर्म कपडे शरीर की आवश्यकता के अनुसार ऋतुओं से बचाएये रखने के भोजन कर। गरीबों के लिए अभिशाप बनती इस ऋतु से उन्हें बचाने के लिए आग के अलावा रेन बसेरे तथा हो सके तो उनी कपड़े व भोजन व्यवस्था भी यथासंभव कर और कराने के प्रयास कर।