जयपुर। केंद्रीय ऊर्जा, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नीति आयोग की बैठक में उनका माइक बंद करने के आरोप को खारिज करते हुए इसे उनका प्री प्लान करार दिया और कहा है कि उन्हें बोलने के लिए पूरा समय देने के बावजूद उनका बैठक से इस तरह चले जाना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता।
खट्टर रविवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में इस संबंध में किए सवाल पर कहा कि बैठक में वह प्रत्यक्ष गवाह है और वहां एक स्क्रीन होती हैं और बोलने वाले प्रत्येक वक्ता के लिए सात मिनट निर्धारित थे। सात मिनट होते ही बेल बजाई जाती हैं और उसके 15-20 सेकंड में रेड का निशान हो जाने पर बोलने वाला उसे अपने आप छोड़ देता। इसी तरह ममता बनर्जी बोल रही थी तब सात मिनट होते ही घंटी बजी और उसके बाद रेड का निशान हुआ।
बैठक में सात मिनट से ज्यादा किसी को नहीं दिया गया। हालांकि किसी के निवेदन करने पर एक-आधी मिनट और बोला जा सकता है लेकिन ममता बनर्जी ने घंटी बजने एवं उनका समय समाप्त होते ही वह कहने लगी कि यहां विपक्ष का कोई मुख्यमंत्री नहीं आया हैं और मैंने ही हिम्मत की हैं।
उन्होंने कहा कि अगर वह और बोलने के लिए निवदेन करती तो उन्हें भी और बोलने का मौका दिया जाता लेकिन यह तो उनका प्री प्लान था, इसलिए उन्होंने इस तरह का व्यवहार किया। वह बैठक में आई अच्छी बात हैं लेकिन जिस तरह से उठकर जाना, यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं हैं।
दिल्ली में तीन अभ्यर्थियों की मौत के मामले में दिल्ली सरकार जिम्मेदार
खट्टर ने दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में तीन अभ्यर्थियों की मौत के मामले में दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। खट्टर उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण जैसा विषय राज्य का है और यह उसकी जिम्मेदारी है कि कोई कमी रह गई हैं तो उसे पूरा किया जाए।
उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी का दोष हैं तो वह दिल्ली सरकार का हैं। उन्होंने कहा कि बरसात के समय में कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में नाला टूटने से उसमें पानी भर गया और बेंसमेंट से निकलने का जो रास्ता था उस तरफ से ही पानी का बहाव उसमें हो रहा था। इसमें रस्सों एवं अन्य साधनों से अभ़्यर्थियों को बचाया गया लेकिन तीन की मौत हो गई।