आखातीज के अबूझ सावे पर अजमेर में एक शादी बनी मिसाल


अजमेर।
आखातीज जैसे अबूझ सावे पर अजमेर में सैकडों विवाह संपन्न हुए। इन सबमें माली समाज की एक शादी मिसाल बन गई। दहेज न लेने और ना ही देने की सोच को धरातल पर उतारते हुए वर वधु पक्ष ने अपने पुत्र व पुत्री की शादी बिना दहेज के करने के संकल्प को पूरा किया। साथ ही इस विवाह समारोह में सामाजिक समरसता का एक अनूठा रूप भी देखने को मिला। बारात की रौनक बढाने वाले बैंड बाजे और लाइट उठाने वालों तक की खूब मेहमान नवाजी की गई।

शुक्रवार को सैनिक विश्राम गृह में व्याख्याता अजयपाल गहलोत की पुत्री वन्दिता व भाजपा नेता घीसूलाल गढवाल के पुत्र हिमांशु के विवाह समारोह की रौनक के बीच दहेज का सामान कहीं नजर नहीं आया। मेहमानों के बीच खासकर महिलाओं में इसी बात को लेकर उत्सुकता बनी हुई थी।

बारात स्वागत के बाद लडके व लडकी के पिता बडे सहज भाव से मेहमानों की आवभगत में लगे थे। पहली बार किसी शादी समारोह में बैंड वालों और लाइट उठाने वालों तक की मान मनवार हो रही थी। दोनों ब्याइयों ने अपने हाथ से उन्हें परोसकारी की। यह नजारा भी सबकों अचंभित करने वाला रहा। बैंड और ढोल वालों को इतना मान सम्मान शायद ही किसी विवाह समारोह में कहीं देखने को मिला हो।

थोडी देर बाद खुद वर और वधु के माता पिता ने इस बात का रहस्योदघाटन किया कि यह शादी दहेज रूपी सामाजिक कुरुति को समाप्त करने की दिशा में हमारी परस्पर सहमति से उठाया कदम है। हमने दहेज ना देने और ना ही देने का संकल्प किया जो सहज रूप से पूर्ण हो गया। मेहमानों ने हमारे निमंत्रण पर पधार कर वर वधु को आशीर्वाद प्रदान किया यह सबसे बडी पूंजी है।

बैंड बाजे और लाइट उठाने वाले बारात की रौनक बढाते हैं। ऐसे में हमारा दायित्व बनता था कि बिना भोजन ग्रहण किए इनमें से कोई भी ना लौटे। इसलिए हमने खुद अपने हाथ से परोसकारी की। बिना जात, पात और धर्म पूछे मेहमानों की तरह ही पूरा मान सम्मान दिया। आशा करते हैं कि अन्य लोग भी इस तरह छोटे छोटे प्रयास करते रहे तो कुरुतियों का अंत होने के साथ ही ही सामाजिक समरसता का भाव सर्वत्र व्याप्त हो जाएगा।