इंदौर/नई दिल्ली। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजेश जोशी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोळवलकर ‘गुरुजी’ को लेकर सोशल मीडिया पर एक फर्जी बयान साझा किए जाने को लेकर पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराई है।
इंदौर के सुदामा नगर निवासी जोशी ने शनिवार रात करीब साढ़े 11 बजे तुकोगंज थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए, 469, 500 और 505 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई। जोशी ने पुलिस रिपोर्ट में कहा है कि विश्व के सबसे बड़े निस्वार्थ समाजसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरुद्ध विद्वेषपूर्ण तरीके से दलितों, पिछड़ों, मुसलमानों और हिन्दुओं में शत्रुता, घृणा एवं वैमनस्यता पैदा कर आपस में उकसाने एवं वर्ग संघर्ष के उद्देश्य से जानबूझकर किए गए पोस्ट से उनकी, आरएसएस के स्वयंसेवकों और हिन्दू समाज की धार्मिक आस्था आहत हुई है।
कल अपराह्न करीब चार बजे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने ट्विटर पर एक कथित अखबारी कतरन को साझा करते हुए लिखा, गुरु गोलवलकर जी के दलितों पिछड़ों और मुसलमानों के लिए व राष्ट्रीय जल जंगल व ज़मीन पर अधिकार पर क्या विचार थे अवश्य जानिए।
कथित अखबारी कतरन में गुरु गोलवलकर को उद्धृत करते हुए छापा गया है – मैं सारी जिन्दगी अंग्रेज़ों की गुलामी करने के लिए तैयार हूं लेकिन जो दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों को बराबरी का अधिकार देती हो, ऐसी आजादी मुझे नहीं चाहिए।
इस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गहरी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता झूठ के सहारे सामाजिक विद्वेष फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सिंह के ट्वीट का जवाब देते हुए ट्विटर पर उन्हें संबोधित करते हुए लिखा, गोलवलकर गुरुजी के संदर्भ में यह ट्वीट तथ्यहीन है तथा सामाजिक विद्वेष उत्पन्न करने वाला है। संघ की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से यह झूठा फोटोशॉप करके चित्र लगाया हैं। गुरुजी ने कभी भी ऐसे नहीं कहा। उनका पूरा जीवन सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने में लगा रहा।
दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट पर आम लोगों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उनके ट्वीट को उनकी गरिमा और राजनीतिक हैसियत के प्रतिकूल करार दिया है।