अजमेर। राम जानकी सत्संग सेवा परिवार के तत्वावधान में चल रही नानी बाई का मायरा कथा एवं रामायण परिक्रमा के पांचवें दिन नरसी भगत एवं नानी बाई के बीच का मार्मिक संवाद सुन श्रोता भावविहल हो गए।
नानी बाई की सास के द्वारा मायरा मांगना एवं अपने पिता की मायरा भरने में असमर्थता, नानी बाई की मां की व्यथा को कथावाचक उत्तम राम जी शास्त्री ने भजन के माध्यम से प्रस्तुत किया साथ ही भक्तों को दिखावे की प्रथा से दूर रहने को कहा।
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति अपनी आन, बान, शान के दिखावे के वशीभूत होकर बढ़-चढ़कर काम करता है वहीं दूसरा व्यक्ति जो समर्थ नहीं है वह दिखावे की दुनिया में अपना सब कुछ खो देता है। कठिन परिस्थितियों में सच्चाई, ईमानदारी और भक्ति से जो प्रभु पर पूर्ण विश्वास रखता है, परमात्मा उसका काम करता है।
नरसी भगत की कथा भी पूर्ण समर्पण, विश्वास और श्रद्धा की कथा है जिसमें नरसी भगत के विश्वास व भक्ति को बनाए रखने के लिए श्री ठाकुरजी ने 52 बार अवतार लिया। उत्तम राम जी शास्त्री ने कहा कि घर में यदि मात पिता प्रसन्न हैं तो समझ लेना आपके भगवान भी आपसे प्रसन्न हैं। जिस घर में बुजुर्ग माता पिता मुस्कुराते हैं उसे घर में ठाकुर स्वयं विराजते हैं।