दिव्यांग व निर्धन सामूहिक विवाह में 51 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

नारायण सेवा संस्थान
उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर में नारायण सेवा संस्थान के 42वें निःशुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह समारोह में रविवार को 51 जोड़े परिणय सूत्र में बंधें।

संस्थान के बडी स्थित परिसर में आयोजित दिव्यांग एवं निर्धन विवाह समारोह में देशभर से बड़ी संख्या में आए अतिथियों एवं धर्म माता-पिताओं ने इन जोड़ों को प्रधानमंत्री के आह्वान एक पेड़ मां के नामथीम पर नवविवाहितों को तुलसी, अशोक, बिल्व और पीपल के पौधे भेंट करते हुए दाम्पत्य जीवन हरा भरा रहने का आशीर्वाद दिया। इस तरह के स्नेह लुटाते हुए वातावरण ने हर किसी को अपनेपन से भर दिया।

संस्थान के संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव, सहसंस्थापिका कमला देवी अग्रवाल, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वन्दना अग्रवाल, ट्रस्टी देवेंद्र चैबिसा एवं विशिष्ट अतिथि दिल्ली के कुसुम गुप्ता, नरेंद्रपाल सिंह, सत्यनारायण गुप्ता, बृजबाला, अलवर के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा, गुड़गांव के नितिन मित्तल, सूरत के हरीश कुमार, मुंबई के सतीश अग्रवाल और उदयपुर के संतोषसिंह शलूजा ने वैदिक मंत्रोचार के बीच गणपति की छवि के समक्ष दीप प्रज्वलित कर विवाह समारोह की पारंपरिक रस्मों की शुरुआत की।

इससे पूर्व परिसर में दुल्हा-दुल्हनों की गाजे-बाजे के साथ बिंदोली निकाली गई। हाडा सभागार के द्वार पर दुल्हों ने नीम की डाली से तोरण रस्म का निर्वाह किया। इसके बाद श्रीनाथजी की झांकी की आरती के साथ ही वर वधुओं का मंच पर प्रवेश हुआ।

सजे-धजे डोम में हजारों की मौजूदगी में वरमाला एवं आशीर्वाद समारोह संपन्न हुआ। दूल्हा-दुल्हन ने परस्पर बारी-बारी से वरमाला पहनाकर हमेशा के लिए रिश्तों की डोर को उल्लास से अपने साथ जोड़ लिया। तालियों की गड़गड़ाहट और मंगल गीतों की समधुर गूंज की आल्हादित करती वेला, पुष्प वर्षा और आतिशबाजी ने वातावरण को और अधिक भव्यता प्रदान की।

जोड़ों में कोई दूल्हा दिव्यांग था, तो कोई दुल्हन। कोई दोनों ही दिव्यांग। कोई बैशाखी सहारे तो कोई व्हीलचेयर पर था। इनमें जन्मजात प्रज्ञाचक्षु जोड़ा भी शामिल था। वरमाला के बाद 51 वेदियों पर नियुक्त आचार्यों ने मुख्य आचार्य के निर्देशन में वैदिक मंत्रों के साथ पवित्र अग्नि के सात फेरों की रस्म अदायगी के साथ पाणिग्रहण संस्कार संपन्न करवाया।

विदाई के वक्त सभी की आंखें नम थी दुल्हनों को डोली में बिठाकर उनके विश्राम स्थल तक पहुंचाया गया,जहां से संस्थान के वाहनों से दूल्हा-दुल्हन ने अपने-अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान किया। जोड़ों को गृहस्थी का आवश्यक सामान बर्तन सेट, गैस-चूल्हा, संदूक, टेबल-कुर्सी, बिस्तर, घड़ी, पंखा, परिधान, प्रसाधन सेट,मंगलसूत्र, कर्णफूल, बिछिया, पायल, लोंग, अंगूठी व अन्य सामग्री भी प्रदान की गई।