नवरात्र : अजमेर के नौसर माता मंदिर में देवी के 9 रूपों के दर्शन

अजमेर। नौसर माता का यह पवित्र स्थान भक्तों के लिए हमेशा से आस्था का केंद्र रहा है। खासकर नवरात्रि पर यहां मेले जैसा माहौल रहता है। दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए आते हैं। यहां चट्टान के नीचे नवदुर्गा माता की नौ प्रतिमा विराजित है।

मान्यता है कि नौसर माता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर की आज भी रक्षा करती हैं। नौसर माता का यह पवित्र स्थान भक्तों के लिए हमेशा से आस्था का केंद्र रहा है। खासकर नवरात्रि पर यहां मेले जैसा माहौल रहता है। यहां चट्टान के नीचे विराजित नवदुर्गा माता के 9 सिर हैं। यह नवदुर्गा के सभी रूप हैं। मंदिर में विराजमान माता की प्रतिमा के मुख पाषण के नहीं हैं। यह मिट्टी के बने हुए हैं, जो अपने आप में अदभुत रहस्य है।

सृष्टि यज्ञ के पहले हुआ माता का प्रादुर्भाव

नौसर माता मंदिर के पीठाधीश्वर रामा कृष्ण देव का कहना हैं कि चट्टान के नीचे मंदिर में माता एक शरीर में 9 मुख को धारण किए हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि माता का ऐसा अदभुत मंदिर देश ही नहीं विश्व में और कहीं नहीं है। उन्होंने बताया कि पुष्कर में जब सृष्टि यज्ञ किया जाना था तो उससे पहले नकारात्मक शक्तियों से यज्ञ की रक्षा के लिए जगतपिता ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूपा नवदुर्गा की यहां आराधना की थी। यहां नव दुर्गा माता का प्रादुर्भाव सृष्टि यज्ञ के पहले से जुड़ा है।


जगतपिता ब्रह्मा ने नवदुर्गा की थी आराधना

पुष्कर घाटी पर स्थित नौसर माता का अति प्राचीन मंदिर है। पद्म पुराण में माता के इस पवित्र धाम का उल्लेख है। इसके मुताबिक माता के धाम का संबंध जगत पिता ब्रह्मा के सृष्टि यज्ञ से भी पहले से है। सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए जगतपिता ब्रह्मा ने नवदुर्गा की आराधना करके उनका आह्वान किया था। शक्ति स्वरूपा माता अपने 9 रूपों के साथ पुष्कर की नाग पहाड़ी के मुख पर विराजमान हो गईं थीं।

मंदिर के एक हिस्से को औरंगजेब की सेना ने तोड़ा

कई युग बीत जाने के बाद भी माता की प्रतिमा पर समय का कोई ज्यादा असर नहीं पड़ा है।पीठाधीश्वर रामा कृष्ण देव बताते है कि मुगल काल में औरंगजेब और उसकी सेना हिंदू मंदिरों को ध्वस्त कर रही थी, तब माता के इस पवित्र धाम को भी नुकसान पहुंचाने का उसकी सेना ने प्रयास किया था। मंदिर के एक हिस्से को औरंगजेब की सेना ने तोड़ दिया, लेकिन माता के नौ स्वरूप वाली प्रतिमा को औरंगजेब की सेना नुकसान नहीं पहुंचा पाई थी।

इस हमले में माता की एक प्रतिमा को मामूली नुकसान पहुंचा था। इस हमले के बाद जब अजमेर में मराठाओं का शासन रहा, तब मंदिर की पुनः स्थापना हुई। इसके बाद रखरखाव के अभाव में मंदिर जीर्णशीर्ण होता चला गया। करीब 145 साल पहले माता के जीर्णशीर्ण मंदिर का संत बुधकरण महाराज ने जीर्णोद्धार करवाया था, लेकिन यह उनके लिए भी इतना आसान नहीं था। दरअसल, जीर्णोद्धार के लिए नोसर पहाड़ी के पास कोई जल का स्त्रोत नहीं था। ऐसे में संत बुद्ध कारण महाराज ने निराश होकर माता से प्रार्थना की तब माता ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर मंदिर के निकट जल के स्त्रोत के बारे में बताया।