नई दिल्ली/देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आध्यात्मिक अभिरुचि किसी से छिपी नहीं है तथा वह ग्रह, नक्षत्रों की चाल और उनके परिणामों में भी खासी रुचि रखते दिखे है और यही वजह है कि उन्होंने वर्ष 2019 की तरह इस बार भी रविवार को वृश्चिक लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार वृश्चिक लग्न को ज्योतिष शास्त्र में स्थिर लग्न बताया गया है। इस लग्न में शपथ लेना कार्य में स्थायित्व और स्थिरता देने का काम करता है। साथ ही वृश्चिक लग्न को गुप्त रूप से काम करने वाला भी माना जाता है। ऐसे में सभी तथ्यों को ध्यान में रख, मोदी ने रविवार 9 जून को शपथ ग्रहण के लिए शाम 7 बजकर 15 मिनट के बाद का समय चुना।
ज्योतिष शास्त्र में चौघड़िया का भी बहुत महत्व है। रविवार शाम 5 बजकर, 34 मिनट से 7 बजकर 18 मिनट तक उद्वेग चौघड़िया था। इस मुहूर्त में शुभ कार्य करने पर बेचैनी और परेशानी बनी रहती है। इसलिए 7 बजकर 18 मिनट पर उद्वेग चौघड़िया के बीत जाने पर प्रदोष काल में शुभ चौघड़िया शुरु होने पर प्रधानमंत्री ने तीसरी बार अपने पद की शपथ ग्रहण की।
ऐसा पहली बार हो रहा है कि उन्होंने चुनाव परिणाम आने के महज 5 दिनों बाद शपथ ग्रहण की। उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर 2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने तक चुनाव परिणाम आने के बाद, 6 से 10 दिनों के भीतर शपथ ली। जबकि आज तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने चुनाव परिणाम आने के महज पांच दिनों में पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की।
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