जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि शिक्षा विवेक जाग्रत करती है। शिक्षा के महत्व को समझे। भारत की शिक्षा भारतीय केन्द्रित होनी चाहिए इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे। नई शिक्षा नीति से राष्ट्र में नया वातावरण का निर्माण हो रहा है। समाज में सकारात्मक परिवर्तन, चरित्र निर्माण और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों का हल भी भारतीय ज्ञान परम्पराओं से हो रहा है।
सरकार्यवाह होसबोले मंगलवार को अग्रवाल कॉलेज के सभागार में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित शिक्षा में भारतीयता और व्यवस्था परिवर्तन विषयक प्रबुद्धजन गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति जीवन की चुनौती का उत्तर भारतीय शिक्षा में है। नई शिक्षा नीति से अनुकूल वातावरण बन रहा है। हम कह सकते हैं, ऐसा विश्वास नई पीढी में नई शिक्षा नीति पैदा कर रही है।
इससे तैयार होने वाली प्रतिबद्ध पीढी मानव प्रेम की भावना समाज में विकसित करेगी जिससे विश्व में भारत मॉडल बन सकेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के संदर्भ में भारत विश्व की महान परंपराओं का वारिस है। दुर्भाग्य से स्वतंत्रता के पश्चात की पीढ़ी इस महानता को समझने में स्वयं प्रयास नहीं कर पाई। इससे वंचित रखने का भरपूर प्रयास हुआ। उन्होंने कहा कि अब नई शिक्षा नीति से देश में नई उर्जा और नया वातावरण बनते हुए हम देख रहे हैं। देरी हो गई है, लेकिन हम दुरस्त हो गए।
इस अवसर पर न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने कहा कि शिक्षा में भारतीयता पर आज भी चितंन की आवश्यकता है। भारतीय दर्शन से भारतीय जीवन दृष्टि का निर्माण हुआ है। भारतीय मूल्य निर्मित हुए हैं। व्यवहार में भारतीय मूल्यों का आचरण करने वाले भारतीय संस्कृति के पर्याय बने हैं। उन्होंने कहा कि भारत का ज्ञान समृद्ध है। योग भारतीय संस्कृति की देन है। योग को विश्व के अनेक देशों ने अपनाया है। आज दुनिया की सोच बदल रही है। दुनिया भारतीय शिक्षा की और अग्रसर है। देश दुनिया की चुनौतियों का समाधान भारतीय ज्ञान परम्पतरा में है। भारतीय ज्ञान परम्परा पर दुनिया में अनेक शोध व अनुसंधान हो रहे हैं।
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि भारत की सनातन परम्परा विश्व के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। भारतीय शिक्षा ने विश्व में राष्ट्र की पहचान बनाई है। शिक्षा बंधनों से मुक्त करती है। राष्ट्र के विकास का आधार शिक्षा है। शिक्षा में किए जा रहे सकारात्माक परिवर्तन देश में जनआंदोलन बने, इसके लिए सभी को सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्याकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में नई तकनीक का समावेश होना चाहिए। भारतीयता के अनुरूप पाठ्यक्रम और शिक्षा पद्धती में परिवर्तन आज की आवश्यतकता है। इस कार्य में शिक्षकों का सहयोग जरूरी है।
उन्होंने कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास को युवा पीढी को समझाना होगा। दैनिक जीवन में शिक्षा की सार्थकता है। भारत से भारतीयता को समाप्त नहीं किया जा सकता। लोगों की दृढ इच्छा शक्ति के कारण भारतीय संस्कृति अटल रही है। देवनानी ने सभी के लिये समान शिक्षा की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए कहा कि स्वावलम्ब न और स्वानभिमान को जाग्रत करने वाली शिक्षा का प्रसार जरूरी है।
भारतीय विश्व विद्यालय संघ की महासचिव डॉ पंकज मित्तल ने कहां कि बच्चों के चरित्र निर्माण के लिए प्रयास करने होंगे। समाज को बढावा देने वाले शोध किये जाने की आवश्यकता है। वैदिक गणित भारतीय शिक्षा की देन है। समाज का विकास का दायित्व विश्व विद्यालयों पर है।
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