न्यूज इम्पेक्टः सिरोही प्रशासक की सख्ती से बेसमेंट की दुकानें सीज, पर और बाकी

सिरोही में काम्प्लेक्स के बेसमेंट में बनाई गई दुकानों को सीज करते नगर परिषद् कार्मिक

सबगुरू न्यूज-सिरोही। नगर परिषद के प्रशासक की सख्ती के बाद सिरोही जिला मुख्यालय पर बेसमेंट के पार्किंग स्थान को दुकानों मे बदल देने के कारण तीन शॉपिंग कॉम्पलेक्सों को सीज कर दिया है। लेकिन, शहर में जाम का सबब बने तीन कॉम्पलेक्स अब भी कार्रवाई की जद से दूर हैं। सबगुरू न्यूज ने 5 मार्च को सिरोही में कलेक्टर हैं प्रशासक बिल्डर बेखौफ निकल रहे हैं बेसमेंट पार्किंग शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। प्रशासक के निर्देश पर नगर परिषद ने 7 मार्च को कार्रवाई करते हुए तीन कॉम्पलेक्सों को सीज कर दिया।
-तीनों शहर के बाहरी इलाकों में
नगर परिषद ने इस कार्रवाई पर ज्यादा चर्चा नहीं की। जिन व्यवस्थ की सरपरस्ती में शहर को जाम में धकेलने की कोशिश की गई उस व्यवस्था ने इस कार्रवाई को मीडिया से भी दूर रखा। इसके पीछे की मंशा ये भी हो सकती है कि उन लोगों के नामों को छिपाया जाए जो ऐसा कर रहे थे और भविष्य में उनके कॉम्पलेक्सों में फिर से पार्किंग में बनाई गई दुकानों के खरीददार मुहैया हो सकें। जिन कॉम्पलेक्सों पर कार्रवाई की गई उसमें से एक दावर शाह दरगाह के सामने है और दो हाइवे पर। इन सबने अपने बेसमेंट में पर्किंग वाले स्थान पर दुकानें बना दी।

शहर में चतुर्भुज मंदिर के सामने, लक्ष्मी मार्केट के सामने और शाहजी की बाडी के मोड वाले कॉम्पलेक्सों पर अभी भी नगर परिषद की नजरें इनायत बरकरार है जबकि इनमें भी बेसमेंट में रेम्प की जगह सीढी बना दी गई है। यही नहीं लक्ष्मी मार्केटवाले स्थान पर बन रहे कॉम्पलेक्स में भी बेसमेंट में तो सीढी नहीं बनाई गई है, लेकिन बेसमेंट के रास्ते के बाद सीढीयां बना दी है जिससे ये स्पष्ट है कि इस सीढी पर चढकर कोई भी दो पहिया वाहना पर्किंग वाली के मुहाने तक तो नहीं जा सकता। यहां भी रेम्प होता तो बेसमेंट के मुहाने तक जाने के लिए वाहनों को राह मिलती।
– जिनकी जिम्मेदारी उनके पास नहीं नक्शे
शहर मे अवैध निर्माण पर नजर रखने का काम जमादारों और सफाई निरीक्षकों के जिम्मे आता है। लेकिन, इनका कहना है कि आजकल भवन निर्माण के ऑनलाइन आवेदन किए जाते हैं। इससे इनके पास नक्शे नहीं रहते जिससे ये पार्किंगों की जगह पर कहां पर दुकानें बनाई जा रही हैं इस पर नजर नहीं रख सकते हैं। शहर में कुकुरमुत्तों की तरह बढ रहे कॉम्पलेक्सों के बेसमेंटों पर शुरू ही दुकानें बनाने और उसे बेच देने की प्रथा रही है। ये नगर परिषद की अनंदेखी से ये अब भी अनवरत जारी है।