नई दिल्ली। भारतीय नौसेना में शामिल किया गया पनडुब्बी रोधी जंगी जहाज आईएनएस कमोर्टा समुद्र में भारत की ताकत बढ़ाने के साथ-साथ चीन की पनडुब्बियों को भारतीय जलक्षेत्र से दूर रखेगा…
चीन हिंद महासागर में अपने प्रभाव को बढ़ाने में लगा है और भारत इस बात से भलीभांति वाकिफ है। गत दिसंबर में चीन ने अपनी एक परमाणु पनडुब्बी को हिंद महासागर में भेजा था और वह वहां दो महीने तक तैनात रही थी।
चीन के पास कम से कम 52 पनडुब्बियों का बेड़ा है जिनमें से तीन परमाणु शक्ति संपन्न हैं। भारत के पास डीजल से चलने वाली 14 पनडुब्बियां और रूस में बनी परमाणु संचालित एक पनडुब्बी है। ऎसे में बंगाल की खाडी में आईएनएस कमोर्टा की मौजूदगी चीन को इस क्षेत्र से दूर रखेगी।
नौसेना डिजाइन महानिदेशालय ने ऎसे चार जंगी जहाजों का डिजाइन तैयार किया है जिनमें से आईएनएस कमोर्टा पहला है। कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड में 3300 टन वजन इस पोत का निर्माण एक मार्च 2006 को शुरू किया गया था और 12 जुलाई 2014 को इसे नौसेना को सौंपा गया था।
110 मीटर लंबे और 14 मीटर चौडे इस पोत पर 90 प्रतिशत भारतीय कलपुर्जे लगे हैं और यह 25 समुद्री मील प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। दुश्मन के रडार से खुद को छिपाने में सक्षम इस पोत के लिए इस्पात भारतीय इस्पात प्राधिकरण ने तैयार किया है जबकि 3800 किलोवाट क्षमता के चार डीजल इंजन किर्लोस्कर ने और टारपीडो लांचर लार्सन एंड टुब्रो ने तैयार किया है।
आईएनएस कामोर्टा कई अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है और रडार की पकड़ में नहीं आने वाला है। इस पर कई संवेदक और हथियार प्रणालियां लगी हुई हैं जिनकी मदद से दुश्मन की पनडुबि्बयों का पता लगाकर उन्हें नेस्तानाबूद किया जा सकता है।
पोत पर पनडुब्बी रोधी राकेट और टारपीडो लगाए गए हैं। साथ ही करीबी लड़ाई के लिए भी इसमें जरूरी हथियार और उपकरण मौजूद हैं। इसमें स्वदेश में निर्मित टोही रडार रेवती को फिट किया गया है और यह पनडुब्बी रोधी जंग में काम आने वाले हेलीकाप्टर को ले जाने में सक्षम है। इसमें फोल्डेबल हैंगर डोर और रेल लैस हेलो ट्रेवर्सिंग सिस्टम है जो सुविधा पहली बार किसी पोत में मुहैया कराई गई है।
आईएनएस कामोर्टा का नामकरण अंडमान एवं निकोबार में स्थित एक द्वीप के नाम पर किया गया है और यह परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध में लड़ने में सक्षम है। इस पोत पर 15 अधिकारी और 180 जवान तैनात रह सकते हैं।
शुरूआत में इसकी लागत 3051 करोड़ रूपए आंकी गई थी लेकिन माना जा रहा है कि इसे तैयार करने में 7800 करोड़ रूपए खर्च हुए हैं। चीन ने फरवरी 2013 में ऎसा पहला पोत तैयार किया था और अबतक वह ऎसे 20 पोत बना चुका है।
माना जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में दस और जहाज उसके नौसेना बेडे में शामिल हो सकते हैं। चीन के जियांगदाओ श्रेणी के पनडुब्बी रोधी पोत आकार में आईएनएस कामोर्टा के आधे के बराबर हैं और उन्हें छिछले पानी में संचालन के लिए तैयार किया गया है।