निसान की जीटी-आर भारत में लॉन्च हो चुकी है, करीब दो करोड़ रूपए की इस सुपरकार को टेक्नोलॉज़ी और परफॉर्मेंस का सरताज़ माना जाता रहा है। ये हैरतंगेज तौर पर फुर्तीली है, रेस ट्रैक पर यह बेजोड़ है और सबसे बड़ी बात इसका कंफर्ट लेवल बेहतरीन लग्ज़री कारों जैसा है…
यहीं वो कारण हैं जो इसे एक लेज़ेंड और दुनिया की बेस्ट कार बनाती हैं। वैसे तो जीटी आर के बारे में काफी कुछ जानकारी दुनिया भर के फैंस रखते हैं लेकिन यहां हम लाए हैं इस कार से जुड़ी पांच ऐसी बातें जिन से शायद आप अनजान होंगे।
करीब 50 साल पुराना है जीटी-आर ब्रांड
जीटी-आर ब्रांडिंग का इस्तेमाल साल 1947 में पहली बार निसान की स्काईलाइन कार में हुआ था। स्काईलाइन में 2.0 लीटर का इंजन लगा हुआ था, इसकी ताकत 160 पीएस थी। इसे जापान में हाकोसूका भी कहते थे।
ऐसे मिला गॉडज़िला नाम
जापान में जीटी-आर को ओबाकेमोनो भी कहा जाता है। इसका मतलब होता है रूप बदलने वाला दानव (मॉन्स्टर)। ऑस्ट्रेलियन मोटरिंग मैग्ज़ीन व्हील्स ने एक कदम आगे बढ़ते हुए आर32 जीटी-आर को गॉडज़िला (एक तरह का डायनासोर) जैसा बताया जो फोर्ड की सिएरा को पछाड़ने की ताकत रखती थी। तभी से जीटी-आर का दूसरा मशहूर नाम गॉडज़िला पड़ गया।
सिल्वर स्क्रीन ने दिलाए फैंस
निसान जीटी आर को दुनिया में इतने सारे फैंस दिलाने का श्रेय सिल्वर स्क्रीन यानी रुपहले पर्दे को भी जाता है। इस कार को फिल्मों, एनिमेशन सीरीज़ और गेमिंग में इस्तेमाल किया गया है।
यहां तक की हॉलीवुड फिल्म सीरीज़ फास्ट एंड फ्यूरियस में भी निसान जीटी-आर इस्तेमाल हो चुकी है।
सिर्फ जापान में ही बनती हैं जीटी-आर
निसान की जीटी आर आज भी 100 फीसदी जापानी कार है, इसे सिर्फ जापान में ही बनाया जाता है। कभी भी जीटी-आर को जापान के योकोहामा स्थित निसान की मुख्य फैक्ट्री के बाहर न तो बनाया गया है और न ही एसेंबल किया गया है।
हाथ से होती है एसेंबल
जीटी-आर की सबसे बड़ी खासियत है इसकी परफॉर्मेंस, पांच खास इंजीनियर ही इन्हें तैयार करते हैं, इन्हें ताकूमी कहते हैं। एक इंजीनियर, एक 3.8 लीटर के वी-8 इंजन को एकदम सील पैक कमरे में हाथ से एसेंबल करता है। यह एक बड़ी वजह है कि हर जीटी-आर की पावर एक जैसी नहीं होती।