सिरोही। शहरी फिजा से अलग सिरोही जिले के गरबे कुछ विशेष खासियत रखते हैं जो शायद ही कहीं देखने को मिलती है। यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में गरबे पूरी धार्मिक श्रद्धा से मनाए जाते हैं। गरबा पाण्डालों में नृत्य करने वाले लोग देवी-देवताओं की वेशभूषा में नृत्य करते हैं।…
इनके प्रति लोगों की श्रद्धा का आलम यह होता है कि वह यहां उसी श्रद्धा से आते हैं जिस श्रद्धा से वह मंदिर में जाते हैं। सिरोही शहर के भाटकड़ा में तो कालिका और भैरू के रूप में किया जाने वाला गरबा विशेष प्रसिद्ध है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो जावाल, मेर मांडवाड़ा, कालन्द्री, बरलूट, गोयली आदि में भी देवी-देवताओं के स्वांग रचकर गरबा किया जाता है।
यह नौ दिन देवी-आराधना के हैं अत: माना यह जाता है कि देवी-देवता भी गरबा रमकर मां दुर्गा को प्रसन्न करने से नहीं चूकते। शहर के ग्रामीण क्षेत्रों में देवी-देवताओं के स्वांग में किए जाने वाले गरबे मां दुर्गा की महिमा को दर्शातिे हैं।