सूरत। राजद्रोह मामले के आरोपित पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने समन्वयक हार्दिक पटेल को सोमवार सुबह कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट की ओर से उसे चार्जशीट की कॉपी सौंपी गई। उधर, हार्दिक की पेशी के चलते कोर्ट परिसर में बड़ी संख्या में पाटीदार पहुंचे थे। उन्होंने हार्दिक के कोर्ट पहुंचने के साथ ही परिसर में जय सरदार-जय पाटीदार के नारे लगाकर जमकर हंगामा मचाया।
अमरोली थाने में दर्ज राजद्रोह के मामले में जांच कर रही क्राइम ब्रांच पुलिस की ओर से 8 जनवरी को हार्दिक पटेल के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई। चार्जशीट दायर होने के बाद हार्दिक के अधिवक्ता यशवंत वाला ने कोर्ट से चार्जशीट की कॉपी की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने अभियुक्त के हस्ताक्षर बैगर कॉपी सौंपने से इनकार कर दिया था और इसके लिए 11 जनवरी का दिन तय किया था।
कोर्ट के आदेशानुसार और राजद्रोह मामले की मुद्दत होने के कारण सोमवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस ने हार्दिक को लाजपोर जेल से कोर्ट में पेश किया। कोर्ट की ओर से चार्जशीट पर हार्दिक के हस्ताक्षर करवाए गए और उसे तथा उसके अधिवक्ता को चार्जशीट की कॉपी सौंपी गई। उधर, हार्दिक पटेल की सोमवार को कोर्ट में पेशी के चलते सुबह से ही बड़ी संया में पाटीदार समुदाय के लोग कोर्ट परिसर में पहुंच गए थे।
हार्दिक पटेल को जैसे ही कोर्ट में लाया गया, पाटीदारों ने कोर्ट परिसर में ही जय पाटीदार-जय सरदार और हार्दिक तुम आगे बढ़ो हम तुहारे साथ हैं के नारे लगाना शुरू कर दिया। कोर्ट प्रशासन और अधिवक्ताओं ने उन्हें शांत रहने के लिए कहा।
आंदोलन को रोकने की बुआ में हिम्मत नहीं
हार्दिक कोर्ट में पेशी के दौरान हार्दिक पटेल ने मीडियाकर्मियों की ओर से आंदोलन को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बुआ में हिम्मत नहीं है कि वह आंदोलन रोक सके, जेल से बाहर आने के बाद भी वह आंदोलन जारी रखेंगे और आंदोलन आन-बान-शान के साथ आगे बढ़ेगा।
चार्जशीट में 60 फीसदी गवाह पुलिस वाले
हार्दिक पटेल के खिलाफ कोर्ट में दायर की गई चार्जशीट सोमवार को हार्दिक पटेल और उसके अधिवक्ता यशवंत वाला को सौंपी गई। वाला ने बताया कि चार्जशीट देखते हुए ऐसा लग रहा है कि सिर्फ हार्दिक को फंसाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 3 अक्टूबर को दिए बयान को लेकर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है, लेकिन चार्जशीट के साथ सौंपे गए अधिकतर सबूत 3 अक्टूबर से पहले के हैं। चार्जशीट में पाटीदारों के खिलाफ सूरत में दर्ज शिकायतों की कॉपी शामिल की गई है। इसके अलावा 148 पंच-गवाहों के बयान में है उसमें 60 फिसदी पंच-गवाह पुलिस विभाग के ही है।
कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद जांच अधिकारी की ओर से जेल में जाकर हार्दिक पटेल से पूछताछ की गई थी, लेकिन इसका कोई जिक्र चार्जशीट में नहीं है। जांच अधिकारी की ओर से कोर्ट को गवाहों के नाम बंद कवर में कोर्ट को सौंपे गए थे और चार्जशीट में इसका जिक्र होना चाहिए था, लेकिन इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है। चार्जशीट के बाद जो सीडीआर पेश किया गया है वह 3 अक्टूबर से पहले का हैं।
विपुल को पहले बताया महत्वपूर्ण गवाह, बाद में बनाया अभियुक्त
वकील यशंवत वाला ने बताया कि हार्दिक पटेल की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी की ओर से कोर्ट में शपथपत्र पेश किया गया था और उसमें बताया था कि विपुल देसाई राजद्रोह मामले का महत्वपूर्ण गवाह है। हार्दिक ने उसे बयान बदलने के लिए कहा था। लेकिन, चार्जशीट दायर होते-होते यही महत्वपूर्ण गवाह को पुलिस ने अभियुक्त बना दिया।