सिरोही. जिले के एक नेताजी को फोबिया हो गया है। हाल ही में जितनी बैठकों में वो पहुंचे वहां यह फोबिया नजर भी आया और उनके समर्थकों ने इस पर गौर भी किया। यह फोबिया किसी साधारण चीज का नहीं एक अधिकारी का है। सुना था कि शेन वार्न को सचिन तेंदुलकर सपने में आकर डराता है और बैठकों में जिस तरह से नेताजी इस अधिकारी का नाम लेकर इसे हटाने या एपीओ करवाने की दुहाई देते हैं।…
शुक्रवार को तो हद ही हुई, जब दो जगह बैठकों में तो नेताजी ने इस अधिकारी की मौजूदगी को नगर पालिका चुनावों में हार और जीत से भी जोड़ दिया। हो भी क्यों नहीं आखिर इस अधिकारी ने भी नेताजी और उनके समर्थकों का ठंड में पसीना ला दिया है। क्योंकि वह नेताजी के कहे अनुसार कानून के विपरीत काम करने को तैयार नहीं है।
वहां से हटाया यहां लगाया
नेताजी की मुसीबत भी कम होती नजर नहीं आ रही है। दो जिलों के सर्वेसर्वा होने के बाद भी दो नगर परिषद क्षेत्र का नेता उनके वर्चस्व को ललकार जो रहा है।
नेताजी ने एक जिले से एक अधिकारी को बड़ी मुश्किल से हटवाया तो छोटे नेता उसी अधिकारी को अपने जिले में लेकर आ गए, इत्तेफाक से यह जिला भी बड़े नेताजी के अधिकार क्षेत्र में आता है। अब लाजिमी है कि अधिकारी को तो छोटा नेता बड़े नेता पर भारी ही दिखेगा।
चौपाल से तो यह सुर भी निकल रहे हैं कि इस अधिकारी को छोटे नेताजी अपनी पार्टी के प्रतिद्वंद्वी नेता की सिफारिश पर लेकर आए हैं।
जनहित या स्वहित
अब नेताजी ने पिछले हफ्ते यह दिखाने की बड़ी कोशिश की कि उन्हें अपने क्षेत्र की जनता की बड़ी फिक्र है, लेकिन खबरची भी तो कुछ कम नहीं हैं। उनके पेट में घुसकर नेताजी की जनहितेषी छवि का पोस्टर फाडऩे में कोई कमी नहंी रखी।
गुफ्तगु यह है कि नेताजी जनता की बात सुनने का दावा करते हुए यहां पहुंचे थे। पोल खुली तो सामने आया कि जनता की बात एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दी। दरअसल नेताजी का ब्लड प्रेशर कानून के डंडे ने बढ़ा दिया था, जो उनके करीबियो ंपर पडऩे वाला है, लेकिन सीधे वह इनको बचाने पहुंच नहीं सकते थे तो उन्होंने यह सफर वाया सिरोही तय किया ताकि लोगो ंको लगे कि नेताजी को उनकी फिक्र है।