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बरसों बाद फिर रहेंगे दो प्रेमी, चंपा से मोती का मिलन

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इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय चिडियाघर का हाथी मोती और हथिनी चंपा की बेडियों की कैद को उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका की …..

सुनवाई के बाद खत्म करने का निर्देश दिया है। इससे अब वर्षो से बिछड़े मोती और चंपा एक बार फिर साथ रहने लगेंगे।चिडियाघर प्रभारी डॉ. उतम यादव ने बताया कि
चिडियाघर केएक हिस्से में दो एकड भूमि पर 50 लाखरूपए की लागत से बाडा तैयार किया जाएगा। इस बाडे को जंगल जैसा स्वरूप दिया जाएगा और हाथी के जोडे को इसमें रखा जाएगा। उन्होंने बताया की दोनों को इंदौर के चिडियाघर में 1984 में लाया गया था। यह दोनों पहले चिडियाघर में बच्चों को सुबह शाम घुमाया करते थे तो कभी महावत के एक इशारे पर उठते बैठते थे।
 लेकिन जब मोती और चंपा का मिलन नहीं हो सका तो हाथी मोती के स्वाभाव में एकाएक परिवर्तन आ गया और वह काफी गुस्सैल हो गया था।वर्ष 2005 में उसने अपने महावत पर हमला कर उसे गंभीररूप से घायल कर दिया था। इसके बाद मोती को संभालना मुश्किल होने लगा तो तत्कालीन चिडियाघर प्रबंधन ने मोती और चंपा को एहतियातन अलग.अलग कर दिया। दोनों के घुस्सैल मिजाज के कारण उनके पैरों में जंजीर की बेडियां बांध दी गयी। इसके बाद विशेष्ाज्ञों ने जांच कर बताया की हाथी सामाजिक प्राणी होता है इसलिए चंपा से अलग होने पर मोती अपना आपा खोने लगा हैं।इस बीच शहर के एक पशुप्रेमी ने उच्च न्यायालय से गुहार लगाई की दोनों प्राणियों के साथ हो रहे इस अमानवीय बरताव पर अंकुश लगाया जाए और दोनों के जीवन को सुरक्षित किया जाए। न्यायालय ने इस जनहित याचिका की सुनवाई की और इसके बाद हाथी के इस जोडे को एक साथ जंगल में छोड़ने के निर्देश दिए। इस दौरान सेंट्रल जू अथारिटी ने दोनों की जांच की तो पाया कि मोती हाथी दिमागी तौर पर संतुलित नहीं है और जब उसकी जंजीरो में ढील दी गई तो वह तोड़फोड़ कर खुद को घायल करने लगा। उसे जंगल या फिर रालामंडल अभ्यारण में छोडने में बेहद खतरा था। ऎसे में अब न्यायालय ने इस जोडे को चिडियाघर में ही जंगल जैसे माहौल में रखने के लिए कृत्रिम जंगल बाड़ा बनाने के आदेश दिए गए हैं।

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