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बांग्लादेश में हिन्दुओं की हत्या के विरोध में एकजुट हुए धर्मगुरु, फतवा जारी - Sabguru News
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बांग्लादेश में हिन्दुओं की हत्या के विरोध में एकजुट हुए धर्मगुरु, फतवा जारी

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बांग्लादेश में हिन्दुओं की हत्या के विरोध में एकजुट हुए धर्मगुरु, फतवा जारी
over 1 lakh bangladesh clerics issue fatwa against extremism
over 1 lakh bangladesh clerics issue fatwa against extremism
over 1 lakh bangladesh clerics issue fatwa against extremism

ढाका। मुस्लिम बहुल देश बांग्लादेश में पिछले कुछ माह में अल्पसंख्यकों खासकर हिन्दुओं को अतिवादियों और धर्मांध चरमपंथियों द्वारा निशाना बनाए जाने और उन्हें मौत के घाट उतारने के विरोध में बांग्लादेश के एक लाख से ज्यादा इस्लामी विद्वान व धर्मगुरु एकजुट हो गए हैं।

उन्होंने इसे इस्लाम के विरुद्ध करार देते हुए देश में हिंसक चरमपंथ के खिलाफ एक फतवा जारी किया है। फतवे पर एक लाख से ज्यादा धर्मगुरुओं के हस्ताक्षर हैं।

बांग्लादेश में जारी किए गए इस फतवे से जुड़े समाचार को रविवार को यहां के सभी समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। इस पर कुल 1 लाख 1 हजार 524 इस्लामी विद्वानों और धर्मगुरुओं जिनमें कि इमाम भी शामिल हैं ने अपने हस्ताक्षर किए हैं।

फतवे में खासकर हिन्दू अल्पसंख्यक और धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ताओं पर देश में हो रहे लगातार के हमलों की भत्र्सना की गई है। इन हमलों को गैर इस्लामी करार दिया गया है।

बांग्लादेश जमियतुल उलेमा के प्रमुख मौलाना फरीदउद्दीन मसूद ने बताया कि फतवे में देश में शांति, सौहाद्र्र और सहिष्णुता बनाए रखने का आह्वान किया गया है। फतवे में कहा गया है कि गैर मुस्लिमों और उदारवादी कार्यकर्ताओं की हत्या इस्लाम में माफ नहीं है। ऐसा करने वाले गुनाह कर रहे हैं।

ये कट्टरपंथी आतंकवादी न सिर्फ मुस्लिमों और इस्लाम के शत्रु हैं, बल्कि वे मानवता के भी दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि फतवों से भले ही आतंकवाद पूरी तरह से खत्म नहीं हो, लेकिन इससे हिंसा पर काबू पाने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी।

62 पन्नों के इस फतवे में हत्या करने वालों को इस्लाम और मानवता का दुश्मन बताया गया है। फतवे का मुख्य भाग उन 10 सवालों के साथ तैयार किया गया है जो आतंकवादी संगठन उठा रहे हैं।

कुरान और हदीस का हवाला देते हुए इन सवालों के जवाब दिए गए हैं। 300 उलेमाओं ने इसके मसौदे को अंतिम रूप दिया है जिसे कि शनिवार को सार्वजनिक किया गया।

उधर, भारत में निर्वासित जीवन जी रहीं बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन का कहना है कि मेरी पुस्तक ‘लज्जा’ पढऩे के बाद भी हिन्दू विरोधी मुसलमानों को लज्जा नहीं आई। उलटे वे और आक्रामक हो गए।

मैं सत्य बोलने के अपराध में 22 वर्षों से निर्वासन की सजा काट रही हूं। इस समय बांग्लादेश से जो खबरें मिल रही हैं उससे मैं बेहद चिंतित हूं। देश में मुक्त विचारधारा वाले ब्लॅागरों, लेखकों की हत्या हो रही है।

धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी मारा जा रहा है। पिछले साल जनवरी से अब तक बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथी 40 लोगों की हत्या कर चुके हैं जिनमें सबसे ज्यादा हिंदू अल्पसंख्यक हैं।

उल्लेखनीय है कि मुस्लिम बहुल इस देश में आठ फीसदी हिंदू जनसंख्या निवास करती है। जनगणना के अनुसार 1941 में अल्पसंख्यकों की आबादी 28 फीसद थी।

1951 में 22.05 और 1961 में 18.5 फीसदी हो गई। इसके बाद 1974 में हुई जनगणना के अनुसार बांग्लादेश में 13.5 तथा 1981 में 12.13 व 1991 में 11.62 एवं 2001 में हिंदुओं की जनसंख्या 9.2 तक आ गई थी।

बाद की जनगणना में भी हिंदुओं की जनसंख्या इसी क्रम में घटती रही है। वर्ष 2011 में बांग्लादेश में हिंदू घटकर सिर्फ 8.5 प्रतिशत ही रह गए। यह संख्या 2016 तक और भी कम हो गई है। ऐसी परिस्थितियों में जारी किया गया यह फतवा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।