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untold story : 10 मौतों की दहशत के बाद गांव का मिटा अस्तित्व - Sabguru News
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untold story : 10 मौतों की दहशत के बाद गांव का मिटा अस्तित्व

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untold story : 10 मौतों की दहशत के बाद  गांव का मिटा अस्तित्व

chhatisgart :  After 10 deaths in Gnjawahi village, villagers decomposes

धमतरी। गांव में कुछ महीनो के अंदर एक के बाद एक 10 मौतें हो गई। मौतों से डरे हुए लोग गांव खाली करने मजबूर हो गए। आज गांव का अस्तित्व मिट चुका है। गांव की जमीन वीरान होने के साथ जंगल में तब्दील हो गई है।

यह अजीबो गरीब दास्ता कुकरेल क्षेत्र के ग्राम गंजावाही की है। उस गांव में अपना बचपन गुजार चुके बुजुर्ग मिलाप राम उनके भाई गोपाल राम नेताम और ग्रामीण रुपसिंह नेताम ने बताया कि वे लोग अपने परिवार के साथ गांव गंजावाही में रहते थे।

उस समय गांव कुकरेल का आश्रित ग्राम कहलाता था। उनके अलावा 20 से अधिक परिवार रहा करते थे। जिसमे दुलारी राम कुंजाम, हीरालाल कुंजाम, करिया कुंजाम, थुकेल नेताम, रघुराम नेताम, सोनसाय सोरी सहित, अन्य परिवार शामिल थे।

करीब 50 साल पहले गांव पुरी तरह आबाद था। अचानक एक समय ऐसा आया कि गांव के लोगों की खुशहाल जिंदगी को ग्रहण सा लग गया। गांव के एक परिवार के घर के सदस्यों की तबीयत बिगड़ी जिससे उनकी मौत हो गई।

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कुछ माह के भीतर गांव में उसी तरह अन्य परिवार के लोगों की भी तबीयत बिगड़ी और मौत का सिलसिला शुरु हो गया। कुछ माह के भीतर गांव के अलग-अलग परिवार के 10 लोगों की मौत हो गई। गांव में अचानक मौतें होने से गांव के सभी लोगों के दिलों में दहशत फैल गई।

लोग धीरे धीरे गांव को छोडऩे में ही अपनी भलाई समझने लगे, कुछ माह के भीतर पूरा गांव खाली हो गया। गांव के सभी लोग आसपास के गांव के साथ अन्य गांव में चले गए। आज गंजावाही जाकर देखे तो गांव में सिर्फ जंगल ही जंगल नजर आता है।

वहां गांव था, इसकी पहचान के लिए सिर्फ एक कुंआ ही बचा है, जो वहां कभी बस्ती आबाद होने की दास्तां बया कर रहा है। इसके अलावा ग्रामीणों की मृत्यु के बाद बनाया गया मठ भी है।

माता के प्रकोप से फैली थी दहशत

ग्रामीणों की माने तो गांव में माता का प्रकोप हो गया था। जो एक व्यक्ति से दूसरे को फैलते जा रहा था। इसकी वजह से जब लोगो की मौते होनी प्रारंभ हुई तो लोगो के दिलों में डर घर कर गया, और एक के बाद एक सभी ने गांव छोड़ दिया। चूंकि गांव वन ग्राम में आता था। उस समय के तत्कालीन रेंजर ने ग्रामीणों को गांव छोडऩे से मना किया। मगर लोगो में दहशत इस कदर हावी थी कि गांव में कोई भी नहीं रुका।

बुजुर्गो का मठ

ग्राम कुम्हड़ा की सरपंच ईश्वरी नेताम ने बताया कि करीब 50 साल पहले की यह दास्ता है। उनके बुजुर्ग रिश्तेदार ग्राम गंजावाही में रहते थे। लेकिन दहशत की वजह से उन्हे गांव छोडऩा पड़ गया। एक बुजुर्ग रिश्तेदार का मठ भी गंजावाही में स्थित है।

बताया कि कुछ वर्ष पहले वहां स्टाप डेम बनाया गया है जो कि गंजावाही ग्राम के नाम से ही है। इस संबंध में कुकरेल क्षेत्र के पटवारी विष्णु प्रसाद गुप्ता ने कहा गांव का नाम राजस्व रिकार्ड में नहीं है वन विभाग के रिकार्ड में हो सकता है।