चंडीगढ़। पंजाब में नया साल आतंक की चादर में लिपटे हुए आया। 6 माह के भीतर गुरदासपुर के बाद दूसरी बार पठानकोट फियादीन हमले ने कई सवाल खड़े कर दिए।
पहला सवाल, फिर पंजाब का वही इलाका क्यों
पिछले पांच महीने में दूसरी बार पाकिस्तानी आतंकवादियों ने सीमावर्ती बमियाल क्षेत्र से पंजाब में घुसपैठ की है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान से लगती पंजाब की पूरी सीमा पर जहां कंटीली बाड़ है, वहीं जम्मू-कश्मीर से लगते बमियाल और सांबा से जुड़े बार्डर पर बाड़ नहीं है।
यहां बीएसएफ की एक चौकी है। भौगोलिक स्थिति भी जटिल है। सीमा से सटे पाकिस्तानी इलाके में इखालासपुर का जंगल है। सीमा के पास ही नाला भी बहता है। ऐसे में रात के अंधेरे और धुंध का फायदा घुसपैठियों को मिलता है।
दूसरा सवाल, एसपी की भूमिका कितनी संदिग्ध
एसपी सलविंदर सिंह की भूमिका भी संदेह से परे नहीं। आईबी उन्हें और उनके दोनों साथियों को पूछताछ के लिए दिल्ली ले गई है। 31 जनवरी को रात साढ़े 11 बजे ठीक तभी जब आंतकवादियों को गाड़ी की जरूरत थी एसपी का नरोट जैमल सिंह पहुंचना क्या सिर्फ इत्तफाक था या कोई प्लानिंग यहां जांच का विषय है।
आतंकवादियों ने जहां इनोवा के ड्राइवर का कत्ल कर दिया था वहीं एसपी और उनके दोनों साथियों को छोड़ देना भी शक पैदा करता है। हमले से 24 घंटे पहले इन्हें ऐसे ही छोड़ कर आतंकी ने अपनी प्लानिंग के लिए खतरा मोल क्यों लिया।
तीसरा सवाल, क्या सुरक्षाबलों से चूक हुई
इंटलीजेंस एजेंसियों हाल ही में बठिंडा से एयरफोर्स के कर्मचारी रंजीत को जासूसी के आरोप में पकड़ा था। खुफिया एजेंसियों ने इनपुट के आधार पर सुरक्षाबलों को अलर्ट कर दिया था कि बुधवार या वीरवार की रात घुसपैठ हो सकती है और नए साल पर आतंकवादी हमारे किसी एयरबेस को निशाना बना सकते हैं। एसपी की किडनेपिंग से यह बात समय रहते सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंच गई थी कि आतंकवादियों का गुट पठानकोट की ओर बढ़ा है। इसके बावजूद हमला रोक पाने में चूक हुई।
चौथा सवाल, टोल और चार नाके कैसे पार कर गए
आतंकवादी जिस रास्ते से नरौट जैमल सिंह से पठानकोट पहुंचे उस पर चार नाके और अमृतसर पठानकोट मार्ग का टोल प्लाजा है। नाकों को पार करने में एसपी की नीली बत्ती मददगार बनी। टोल प्लाजा की फुटेज में सामने आया है कि एक आतंकवादी ही कार को ड्राइव कर रहा था।
पांचवा सवाल, एयरबेस ही क्यों चुना
पठानकोट एयरबेस पश्चिमी एयर कमान का एक मुख्य फाइटर बेस है। यहां मिग-21, एमआई-35, गरुड़ विंग, अटैक हेलीकॉप्टर और जैट स्क्वाडर्न मौजूद है। पाकिस्तानी एजेंसियों का मंसूबा इस अति सुरिक्षत बेस को नुकासन पहुंचाकर यह संदेश देना था कि यह आतंकियों की ओर से अघोषित युद्ध है।
छठा सवाल, एयरबेस में कैसे घुसे
आतंकवादी धीरा गांव की तरफ से लगती एयरबेस की दीवार फांद कर अंदर घुसे। यह जगह सिविल एयरपोर्ट और स्कूल के पास है। यह आबादी से लगता इलाका था और यहां चौकसी में चूक का लाभ उन्हें मिला।
सातवां सवाल, स्थानीय मददगार कौन
आतंकवादियों ने टैक्सी चालक को मोबाइल पर फोन कर जिस तरह बुलाया था, उससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या कोई उनका स्थानीय मददगार भी था। इसी मददगार ने उन्हें इनोवा चालक का मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया और अपने प्लान पर आगे बढ़ने में मदद की। इस मामले में खुफिया एजेंसियां और पुलिस इलाके में सक्रिय तस्करों और स्थानीय डेरों से जुड़े लोगों के डिटेल खंगाल रही है।
आठवां सवाल, दो दिन कहां छुपे
जांच में सामने आ रहा है कि आतंकवादियों ने बुधवार देर रात ही बॉर्डर क्रास कर लिया था। वह पूरे दिन बमियाल और नरोट जैमल सिंह के बीच तीन किलोमीटर के दायरे में ही कहीं छुपे रहे। यह स्थानीय मदद के बिना संभव नहीं था। वीरवार रात को एसपी की गाड़ी छीनकर वह पठानकोट भी पहुंच गए थे। वहां भी नए साल के पहले दिन वे छुपे ही रहे।
नौवां सवाल, क्या यह मोदी के लाहौर दौरे से उपजी बौखलाहट है
रिटायर्ड सैन्य अधिकारी यह मानते हैं कि पाकिस्तानी फौज और आतंकवादी दोनों ही नहीं चाहते कि वार्तालाप हो। पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई जासूसों के जरिए सैन्य ठिकानों की सूचनाएं जुटा रही थी। फौज को यह भी चिढ़ है कि उसे बातचीत में कोई अहमियत नहीं दी जा रही।
दसवां सवाल, क्या हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ
हमलावर आतंकियों ने हमले से पहले जो चार फोन कॉल पाकिस्तान को किए हैं, वे भी इन हमलों के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का सुबूत है। एक आतंकवादी युवक ने पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाके बहावलपुर में अपनी मां से भी फोन पर बात की।