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जयपुर। गुर्दे की गंभीर बीमारी से पीडि़त हरियाणा के सिरसा निवासी दस वर्षीय गिरीश शर्मा पुत्र जगदीश शर्मा को गुरुवार को एक दिन के लिए जयपुर शहर का पुलिस आयुक्त बनाया गया। तीसरी कक्षा में पढ़ रहे गिरीश को करीब पौने चार बजे पुलिस आयुक्तालय पहुंचने पर पुलिस के जवानों ने सलामी दी।
सलामी गारद का निरीक्षण करने के बाद उन्हें पुलिस आयुक्त जंगा श्रीनिवास राव ने अपने चैम्बर में आयुक्त की कुर्सी पर बैठाया। इस मौके पर मीडियाकर्मियों से खचाखच भरे पुलिस आयुक्त के कक्ष में अधिकारी की वर्दी पहने बालक गिरीश शर्मा ने मीडिया कर्मियों के पूछने पर कहा -चोरों को पकडऩे की इच्छा थी, इसलिए पुलिस का अधिकारी बना हूं। उन्होंने कहा कि आज इस कुर्सी पर बैठकर अच्छा लग रहा है।
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पुलिस आयुक्त की कुर्सी पर बैठे गिरीश ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मुझे सैल्यूट देना अच्छा लगा और इसके लिए मैंने सबसे पहले पुलिस अधिकारी की वर्दी पहनी तथा राव के साथ कार में सवार होकर सवाई मानङ्क्षसह अस्पताल से यहां आया हूं। बालक ने कहा कि वह तीसरी कक्षा में पढ़ रहा है और उसकी इच्छा थी कि चोरों को पकडऩे के लिए पुलिस का बड़ा अधिकारी बने।
राव ने बताया कि गुर्दे की गंभीर बीमारी से पीडि़त बालक की पुलिस का अधिकारी बनने की इच्छा का प्रस्ताव गैर सरकारी संस्था मेक ए विश की ओर से आने पर राजस्थान पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत कर गिरीश के एक दिन के लिए पुलिस आयुक्त बनने का सपना पूरा करने का निर्णय लिया गया।
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उन्होंने बताया कि संभवत राजस्थान में यह पहला मौका है जब किसी व्यक्ति की इच्छा पूरी करने के लिए एक दिन का पुलिस आयुक्त बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस बालक के दिमाग में पुलिस की कार्य प्रणाली के बारे में सुनने के बाद कुछ अच्छा काम करने की इच्छा जागृत हुई और हमने इसमें सहयोग कर एक उदाहरण पेश किया तथा ऐसा कर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है।
गिरीश के पिता जगदीश शर्मा ने इस मौके पर बताया कि करीब तीन माह पहले बालक के गंभीर बीमारी से पीडि़त होने पर उसे हरियाणा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां एक दिन में ही 50 हजार रुपए का खर्चा आ गया था। उन्होंने बताया कि सिरसा में ठेला चला कर परिवार का लालन पालन करता हूं और एक ही दिन में 50 हजार रुपए खर्च होने के बावजूद इलाज करने के बजाए उसे उपचार के लिए जयपुर लेकर जाने की सलाह देने पर मेरे होश उड़ गए।
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उन्होंने बताया कि गिरीश के गंभीर बीमारी होने के बारे में उसे तीन माह पहले पता चला और करीब दो माह से वह जयपुर में बालक का उपचार करवा रहे हैं। कुछ दिन संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में भी उपचार किया गया और अन्तत आर्थिक हालात खराब होने के कारण बालक को राजस्थान के सबसे बड़े राजकीय सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसका उपचार चल रहा है।
जगदीश शर्मा ने बताया कि एक दिन वह बालक के लिए निशुल्क दवा की दुकान पर दवा लेने गया हुआ था कि पीछे से बालक से मिलने आए मेक ए विश संस्था के कार्यकर्ताओं ने गिरीश से पूछा की आपकी इच्छा क्या है। उन्होंने बताया कि बालक ने तपाक से कहा कि वह चोरों को पकडऩे के लिए पुलिस का बड़ा अधिकारी बनना चाहता है और इसके बाद एक दो दिन पहले ही उसे पता चला कि बालक की इच्छा पूरी करने का समय आ गया है।
जगदीश शर्मा बोले कि मैं आज बालक की बीमारी का गम भूल गया हूं और पुलिस आयुक्त की कुर्सी पर उसे बैठा देख कर गर्व महसूस कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि गिरीश पढऩे में होशियार है तथा अपने सखाओं के साथ भी खेल में पुलिस का अधकारी बन कर ही खेलता है। उधर, गैर सरकारी संस्था की कार्यकर्ता स्मिता शाह ने बताया कि हमारी संस्था बीमारी से पीडि़त बालकों की इच्छा पूरी करने के लिए इस तरह के प्रयास करती है।
उन्होंने बताया कि अधिकतर बालक किसी फिल्मी कलाकार से मिलने की अच्छा जाहिर करते हैं अथवा कोई खिलौना अथवा इलेक्ट्रॉनिक सामान पा कर ही खुश हो जाते हैं लेकिन गिरीश जैसे कम ही बालक होते हैं जो पुलिस आयुक्त बनने जैसा बड़ा सपना संजोये रहते हैं और आज उसकी यह अच्छा पूरी होने पर संस्था के कार्यकर्ता खुश हैं।
इस मौके पर गिरीश ने पुलिस आयुक्तालय के विभिन्न प्रकोष्ठों में जाकर निरीक्षण किया तथा शाम को गांधीनगर थाने का भी निरीक्षण कर एक दिन के पुलिस आयुक्त के पद की जिम्मेदारी का निर्वहन किया।