भोपाल। देश में 32 साल बाद मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल गुरुवार को विश्व हिन्दी सम्मेलन के गौरवमयी कार्यक्रम की साक्षी बना है। यह हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें शामिल होने के लिए विश्वभर से हिन्दी विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार, भाषा विज्ञानी, विषय विशेषज्ञ तथा हिन्दी प्रेमी राजधानी में एकत्रित हुए हैं।
कई महीनों के अथक परिश्रम के बाद राजधानी स्थित लाल परेड ग्राउंड पर इस तीन दिवसीय विश्व स्तरीय आयोजन का रंगारंग आगाज हुआ। इसके साथ ही हिन्दी को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले इस व्यापक महाकुंभ का देश में आज 32 साल बाद हिंदी सम्मेलन का इंतजार अब खत्म हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भोपाल के लाल परेड ग्राउड पर आयोजित किए गए विश्व हिन्दी सम्मेलन का उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री सुबह 9.45 बजे भोपाल के राजाभोज विमानतल पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत विभिन्न मंत्रियों, नेताओं द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया। इसके बाद मोदी ने एयरपोर्ट पर ही आयोजित पार्टी कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम को संबोधित किया। यहां से प्रधानमंत्री 10.30 बजे लाल परेड ग्राउंड पहुंचे और सम्मेलन का शुभारंभ किया।
उद्घाटन समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, मॉरीशस की शिक्षा मंत्री लीला देवी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए। इसके अलावा समारोह में देश के सैकड़ों विद्वानों, अतिथियों समेत विदेशी मेहमान भी उपस्थित रहे।
दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन की थीम हिंदी जगत
विस्तार एवं संभावनाएं रखी गई है। तीन दिन तक समानांतर सत्रों में विद्वान और प्रतिभागी 12 विषयों पर अपने विचार रखेंगे। इनकी रिपोर्ट बाद के सत्रों में रखी जाएगी। सत्र विषयों पर दी गई अनुशंसाएं 12 सितंबर को समापन समारोह में रखी जाएंगी। बता दें कि देश-विदेश के 5000 से अधिक विद्वान और मेहमान इस विश्व स्तरीय सम्मेलन में हिस्सेदारी करेंगे। हिन्दी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह समापन समारोह को संबोधित करेंगे।
हिन्दी को बढ़ावा देने में इस सम्मेलन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। इस आयोजन में 39 देशों के करीब 700 से प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसीलिए इस सम्मलेन में गिरमिटिया देशों में हिंदी, विदेशों में हिंदी शिक्षण- समस्याएं और समाधान , विदेशियों के लिए भारत में हिंदी अध्ययन की सुविधा, अन्य भाषा भाषी राज्यों में हिंदी, विदेशी नीति में हिंदी, प्रशासन में हिंदी, विज्ञान क्षेत्र में हिंदी, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी, विधि एवं न्याय क्षेत्र में हिंदी और भारतीय भाषाएं, बाल साहित्य में हिंदी, हिंदी पत्रकारिता और संचार माध्यमों में भाषषा की शुद्धता, देश और विदेश में प्रकाशन: समस्याएं एवं समाधान जैसे विषयों पर चर्चा की की जाएगी।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
राजधानी के लाल परेड ग्राउंड पर आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में शामिल होने प्रधानमंत्री समेत देश-विदेश से आ रहे हजारों मेहमानों के मद्देनजर राजधानी के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए राजाभोज विमानतल से लेकर आयोजन स्थल लालपरेड मैदान तक सुरक्षा की अभेद व्यवस्था की गई है। आयोजन स्थल और आसपास का इलाका पूरी तरह छावनी में तब्दील हो चुका है। पांच हजार से अधिक पुलिस जवानों के अलावा ब्लैक कैट कमांडों की तैनाती भी की गई है। वहीं, वाहनों की चेकिंग और संदिग्ध व्यक्तियों पर कड़ाई से निगरानी रखी जा रही है।
सम्मेलन में 18 डॉक्टरों की भी तैनाती
विश्व हिन्दी सम्मेलन में गुरुवार को 18 डॉक्टरों को तैनात किया गया है। वहीं, अगले दो दिनों तक 12-12 डॉक्टर तैनात रहेंगे। 6 डॉक्टरों का एक दल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निगरानी में तैनात किया गया है।
विदेशियों को सात समंदर पार खींच लाई हिंदी की चाहत
आज हिन्दी का स्वरूप राष्ट्र की सीमाओं को लांघते हुए विश्व-व्यापी हो गया है। इस बात का प्रमाण बना है राजधानी भोपाल में आयोजित दसवां विश्व हिन्दी सम्मेलन, जिसमें दुनिया के 39 देशों के 700 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।
इतना ही नहीं, विदेशियों में हिंदी लगातार अपनी पेठ बनाती जा रही है और सैकड़ों लोगों को हिंदी सीखने की चाहत सात समंदर पार भारत खींच लाई है और अब वे यहीं रहकर हमारी राजभाषा सीख रहे हैं तथा हिन्दी में उच्च शिक्षित हो रहे हैं।
कुछ विदेशियों को हिंदी के साथ हिंदुस्तान से भी इतना लगाव हो गया कि अब उन्होंने यहीं बसने का मन बना लिया है। हिन्दी सम्मेलन में शामिल होने आए कुछ प्रतिभागियों से बात करने पर उन्होंने हिस बताया कि हिंदी दुनिया की बड़ी भाषा है। इसका लगातार विकास हो रहा है। मौजूदा वैश्विक दौर में हिंदी सीखना जरूरी है। भविष्य में इसके कई फायदे मिलेंगे। इसलिए भारत में रह कर हिंदी सीख रहे हैं।