लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बुधवार को बर्खास्तगी की सिफारिश वाले न्यायाधीशों ने कहा है कि सेवा समाप्त की गई तो वह सुप्रीमकोर्ट जाएंगे। हाईकोर्ट की फुलबेंच के निर्णय के बाद अधिकांश आरोपी जजों से न्यायिक शक्तियां छीन ली गई हैं। हाईकोर्ट की फुलबेंच ने 11 प्रशिक्षु जजों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई की संस्तुति के बाद आरोपी जजों ने सवाल उठाए हैं। जजों ने कार्रवाई को अधिक कठोर और पक्षपातपूर्ण बताया है।…
आरोपी जज का कहना है कि रेस्टोरेंट में पार्टी के दौरान 16 लोग थे। इनमें 11 के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई जबकि पांच बरी कर दिए गए। जांच कमेटी ने इनकी पहचान नहीं होने की बात कही है। ऎसे में आठ लोगों को क्यों आरोपी बनाया गया है। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक सिर्फ तीन लोगों के ही बीच मारपीट हुई है। उन्हें कोर्ट में बैठने से भी रोक दिया गया है। इनमें से अधिकांश हालांकि अभी अपनी पोस्टिंग स्टेशन पर ही हैं। वे सभी सरकारी आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि एक आरोपी जज ने बताया कि गत सात सितम्बर की रात ट्रेनिंग पूरी होने की पार्टी थी। इसमें सभी 74 ट्रेनी जजों को शामिल होना था। इसमें से 16 जजों ने कैंपस के बाहर एक रेस्टोरेंट में पार्टी का निर्णय लिया था। आरोपी प्रशिक्षु जज ने बताया कि परिसर के बाहर पार्टी का निर्णय 16 जजों का था।
इसकी अनुमति जेटीआरआई के कार्यवाहक निदेशक या किसी अन्य सक्षम अधिकारी से नहीं ली गई थी। छुट्टी का दिन होने के कारण जजों ने इसकी जरूरत भी नहीं समझी। अब ट्रेनी जज इसे अपनी गलती मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की संस्तुति के आधार पर बर्खास्तगी हुई तो उन लोगों के समक्ष सुप्रीमकोर्ट जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहेगा।