कालमुखी/खंडवा। आज के युग में जहां कई लोग 60-70 की उम्र भी तय नहीं कर पाते या जिनके शरीर के कई अंग बढ़ती उम्र के साथ काम करना बंद कर देते हैं। वहीं 110 वर्ष की चंपा बाई आज भी घटिया से उठकर दिनचर्या का का पूरा काम स्वयं करती है।
जितनी भूख लगती है उतना भोजन ग्रहण करती है। और तो और आने वाले हर व्यक्ति को पहचान भी लेती है।
समीपस्थ ग्राम अमोदा में मातपुर रोड पर टाटा ग्राम में चंपाबाई मधोर नायक का परिवार का निवास करता है। चंपाबाई के पति देव का तो पूर्व में निधन हो चुका है। पांच सदस्यों के साथ जीवन बीता रही चंपाबाई के दोनों पुत्रों की भी पूर्व में मृत्यू हो चुकी है।
दो विधवा बहुओं में से एक बहू व पोता पोतियों के साथ ईंट के बने कच्चे मकान में निवासरत चंपाबाई के शरीर की चमडी पुरी तरह झूल चुकी है। परंतु इस उम्र में भी उनकी आंख के दो बार मोतियाबिंद के ऑपरेशन होने के बावजूद आने जाने वाले को देखने में दिक्कत नहीं है।
दातों का पुनर्जन्म हो चुका है तो समझने की शक्ति भी आधी उम्र पार करने वाले से तो ठीक ही है। आधार कार्ड पर जन्म तारीख 1906 अंकित है। चंपाबाई खाने में दोनों समय एक रोटी ग्रहण करती है। खाने में परिवार को किसी चीज से परहेज नहीं।
14 एकड़ जमीन की मालिक उक्त माताराम ने पूर्व में वर्षों तक आसपास ग्रामों में लगने वाले बाजार में घोड़ी पर बैठकर लड्डू जलेबी बनाकर बेची।
उन्होंने नायक समाज के राजस्थान में स्थित अराध्य देव रामदेवरा मंदिर के अलावा गुजरात के द्वारकाधीश, सोमनानाथ, गिरनार आदि के दर्शन कर अपने आपको धन्य किया। चंपाबाई को खाने में केला पसंद है तो परिवार के मुताबिक पैसे पर भी उनकी पकड़ मजबूत है।