अजमेर। पुष्कर स्थित शान्तानन्द उदासीन आश्रम में भिरिया-सिन्ध के शहंशाह बाबा हरीराम साहिब के शिष्य सतगुरू बाबा हिरदाराम साहिब का 112वां जन्मोत्सव मनाया गया।
अभिजीत मुर्हत पर समाधि स्थल का भूमि पूजन, नींव पूजन संत महात्माओं और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भजन कीर्तन, अखण्ड रामायण पाठ व संत प्रवचनों के साथ बड़ी धूमधाम से गया।
इस मौके पर महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन ने कहा कि संतों के जीवन से प्रेरणा लेकर सनातन धर्म की सेवा करने से हमारा जीवन सफल हो जाएगा। सदैव सादगी, सेवा व स्मरण का संदेश देकर स्वामी हिरदाराम जी ने हमें समाज को जोडने का मूल मंत्र दिया जिससे दुनिया में रहने वाले सभी धर्मप्रेमी जुडे हुए हैं।
महंत हनुमान राम ने कहा कि स्वामी हिरदाराम जी का जीवन सदैव जरूरतमंद परिवारों की सेवा, गौमाता की सेवा, ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीब की सेवा का मार्ग बताकर अनूठी मिसाल पेश की।
सभा को अखिल भारतीय सिन्धी साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री महंत श्यामदास बालकधाम किशनगढ, आश्रम के महंत राममुनि, महंत हनुमानराम, ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महंत स्वरूपदास उदासीन, भीलवाडा से गणेशदास, प्रेम प्रकाश आश्रम देहली गेट के ओमलाल शास्त्री ने आर्शीवचन देते हुए कहा कि स्वामी हिरदाराम जी के किए गए सेवाकार्यों व सनातन धर्म की सेवा को आज स्मरण करने से हमारा जीवन धन्य हो जाता है।
देश विदेश में चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले चिकित्सकों गरीब जनता की सेवा के लिए प्रेरित किया और उसका लाभ सभी वर्ग ले रहे है। कंवल प्रकाश ने बताया कि आश्रम में स्वामी जी की मूर्ति, उनके द्वारा किए गए सेवा कार्यों तथा स्वामी जी द्वारा जीवनकाल में उपयोग में ली गई विशेष वस्तुओं का प्रदर्शन और महापुरूषों की मूर्तियों लगाई जाएगी।
हॉल के बाहर जगदगुरू श्रीचन्द्र की आदमकद प्रतिमा भी लगाई जाएगी। स्वास्थ्य स्वाध्याय हेतु पार्क का भी निर्माण कराया जाएगा। श्रृद्धालुओं के लिए धार्मिक आयोजन की सम्पूर्ण व्यवस्था की गई है। सत्संग में स्वामी जमना सांई, स्वामी आत्मदास, धर्मदास, अर्जुनराम, गौतम सांई मनोहरदास, दादा नारायणदास सहित आये सभी संतों महापुरूषों ने आर्शीवचन प्रकट किए। इस अवसर पर अजमेर, जयपुर, ग्वालियर, भरतपुर, भोपाल छतीसगढ, दिल्ली सहित अलग अलग स्थानों से सेवाधारी उपस्थित थे।
समारोह में सचिव कंवलप्रकाश किशनानी, कोषाध्यक्ष प्रकाश मूलचंदाणी, मनीष प्रकाश, हरि चंदनाणी, महेन्द्र कुमार तीर्थाणी,शंकर सबनाणी, घनश्यामदास, महेश तेजवाणी, प्रेम केवलरामाणी, तुलसी सोनी, मोहन तुलस्यिाणी, महेश टेकचंदाणी, अशोक रंगनाणी, गोपाल नानकाणी सहित विभिन्न संगठनों के सेवाधारी उपस्थित थे।