अजमेर। धार्मिक नगरी अजमेर के आजाद पार्क में आयोजित 13 दिवसीय 51 अरब हस्तलिखित श्रीराम नाम परिक्रमा महोत्सव में ईश्वर स्तुति के साथ देशभक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला।
ऐसे विशाल आयोजन भाग लेने को जिस तरह लोग उत्सुक नजर आए उससे साफ झलक रहा था कि वह दिन अब दूर नहीं जब भारत भौगोलिक रूप के साथ साथ सांस्कृतिक रूप से भी अखण्ड बनेगा।
ये उद्गार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अजमेर महानगर संचालक सुनील दत्त जैन ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पाप के आधार पर निर्मित स्वर्ण की लंका चाहे कितनी भी सुन्दर क्यो न हो उसका जलना निश्चित है। इसी तरह पाप और दुराचार का विनाश तय है।
हम सब के अन्दर राम निहित है बस उन्हें जाग्रत करने की आवश्यकता है। श्रीराम नाम परिक्रमा के विश्राम पर आंग्ल नववर्ष मनाने वालों को अपने देश की परंपरा के अवगत कराते हुए कहा कि पाश्चात्य की झूठन को अपनी थाली में परोसकर उसका अनुसरण करना यह भारतीय को स्वीकार नहीं। बेहतर है कि हम वैज्ञानिक एवं खगोलीय सिद्धांतो पर आधारित भारतीय नववर्ष को मनाने का संकल्प लें। दत्त ने परिक्रमा आयोजन में तन मन धन से सहयोग करने वाले सभी धर्मप्रमियों, कार्यकर्ताओं तथा सहयोग करने वाली समस्त संस्थाओं का आभार प्रकट किया।
सहसंयोजक उमेश गर्ग ने बताया कि इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल ने कहा कि भगवान राम के नाम की परिक्रमा का यहां विश्राम जरूर हो रहा है लेकिन मन के भीतर जो राम बसे हैं उनकी परिक्रमा अतिम सांस तक चलती रहेगी।
अपने घर को अयोध्या और वृन्दावन सरीखी धर्मनगरी की भांति मनोभावों वाली बनाए। भदेल ने कहा कि परमात्मा कभी माता पिता के रूप में हमें सेवा का मौका देते हैं तो कभी हमारी परीक्षा लेने को दीन दुखी की भांति हमारे सामने आ जाते हैं। ऐसे में सेवा करना ही हमारा धर्म है।
किसी भी तरह की सेवा हो वह परमात्मा की सेवा के तुल्य है। जीवन में सेवा करने का भाव सदैव बना रहे तो समझ लेना चाहिए कि ईश्वर हमसे प्रसन्न है और हम सदमार्ग पर चल रहे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत ने कहा कि हिन्दुस्तान के मन मस्तिष्क पर जिसने राज किया वे ऐसे सिर्फ भगवान राम ही हैं। अंग्रेजों और मुगलों ने इस भारत भूमि पर शासन कर यहां कि सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को तहस नहस करने की कोशिश की लेकिन आज भी भगवान राम ही हमारे मन मस्तिष्क पर अंकित है।
सीमा की रक्षा कर रहे फौजियों के नाम जाप
परिक्रमा महोत्सव आयोजन समिति के सहसंयोजक सुभाष काबरा ने बताया कि परिक्रमा के विश्राम से पहले भारत माता की रक्षा के लिए सीमाओं पर डटे सैनिकों के मनोबल को बढाने तथा उन पर ईश्वरीय कृपा बनी रहने का आहवान किया गया। इसके लिए परिक्रमा पांडाल में मौजूद 3000 महानुभावों ने सवा घण्टे तक सामूहिक रूप से श्रीराम जय राम जय जय राम का महामंत्र का जाप किया।
सहसंयोजक कंवलप्रकाश ने बताया कि महोत्सव में दिव्य मुरारी बापू, पाठक महाराज, कृष्णानन्द महाराज, केशवदास शास्त्री, संत हरिभाउ उदासीन, चम्पालाल महाराज सहित अनेक संत महात्माओं का सान्निध्य व आशीर्वाद मिला।
सहसंयोजक सुभाष काबरा ने बताया कि इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में एकल विद्यालय के नरपत सिंह शेखावत, मोहन लाल कुमावत, बंसत विजयवर्गीय एवं उप महापौर संपत सांखला, नगर निगम कमिश्नर एवं उपायुक्त सीमा शर्मा ने शिरकत की।
इनकों मिला सेवा का सम्मान
परिक्रमा विश्राम के अवसर पर राजू गुर्जर, किशन पण्डित, लेखराजसिंह राठौड, शशिप्रकाश इन्दौरिया, सुरेश शर्मा, हरीश झामनानी, गजेन्द्रसिंह रलावता, प्रकाश डूडी, सत्यनारायण शर्मा, अशोक पंसारी, मुकेश जैन, रमेश अग्रवाल, अमरसिंह पंवार, देवेश शर्मा, जमालुदीन, महेन्द्र जैन मित्तल, शिवरतन वैष्णव, भारती श्रीवास्तव, अभिलाषा यादव, सत्यनारायण भंसाली, विनिता जैमन, ललित शर्मा, संतोष शर्मा, सर्वेश्वर अग्रवाल, पं. लक्ष्मण शर्मा, शैलेन्द्र सतरावला, वर्तिका शर्मा, दुर्गेश डाबरा, हेमन्त तायल, पूनम मारोठिया, नौरत, हरीचंदनानी, प्रेम केवलदवानी, धर्मेंन्द्र शर्मा, मोहन तुलसयानी, दीपिका कुमारी, मोहनप्रकाश माथुर, मोहनलाल पुरोहित, लक्ष्मण शर्मा, राजेन्द्र कुमार सैनी, दुर्गा शंकर मंत्री, द्वारका प्रसाद मंगल, रामकृष्ण पाण्डे, रामगोपाल, मणिलाल गर्ग आदि का सम्मान किया गया।
अंतिम दिन देर शाम तक चला परिक्रमा का दौर
श्रीराम नाम परिक्रमा महोत्सव परिक्रमा के अंतिम दिन शाम को परिक्रमा विश्राम की घोषणा के बाद भी अयोध्या नगरी में रामभक्तों के आगमन का सिलसिला बना रहा। तेरह दिन तक राम नाम परिक्रमा के दौरान प्राप्त ईश्वरीय अनुभूति के चलते देर शाम तक पांडाल रामभक्तों से अटा रहा।