नई दिल्ली। देश में 15 फीसदी इंजीनियरिंग स्नातक और 17 फीसदी प्रबंधन परास्नातक ऐसे हैं जो नौकरी देने के लायक नहीं हैं, ये सरकार के स्किल डेवेलपमेंट मंत्रालय को उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से मालूम हुआ है।
ये खुलासा केंद्र सरकार के हाल ही में बने कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजीव प्रताप रुडी ने एक कार्यक्रम के दौरान किया।
दिल्ली में उद्योग जगत के प्रतिनिधि संगठन फिक्की के वर्ल्ड ऑफ इंडस्ट्री के साथ आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजीव प्रताप रुडी ने बताया कि देश में उद्योग जगत के लिए तकनीकी-दक्ष मानव संसाधन की जरुरत है, लेकिन पिछली सरकारों ने कभी उद्योग जगत की इस परेशानी पर ध्यान नहीं दिया।
हालात इतने बिगड़ गए कि देश में इंजीनियरिंग कॉलेजों में करीब 18 लाख इंजीनियरिंग सीटों में से केवल साढ़े आठ लाख सीटें ही भर पाई। जो दुर्भाग्यपूर्ण है। इतना ही नहीं ये इंजीनियरिंग कॉलेज से जो स्नातक डिग्री लेकर युवा बाहर आ रहे है, उन्हें उद्योग जगत नौकरी देने लायक नहीं मान रहा।
रुडी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरु हुए ‘स्किल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों के द्वारा देश के युवा की क्षमता विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार चाहती है कि देश के युवाओं को तकनीकी तौर पर दक्ष करें, जिससे वो मुद्रा बैंक से वित्तीय सहायता लेकर खुद के उद्यम शुरु कर सकें। इसके लिए कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय स्कूली शिक्षा के तुरत बाद भी युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण मुहैय्या कराने की योजना पर काम कर रहा है।