चंडीगढ। विश्व विरासत स्थल राखीगढ़ी में पुरातत्वविद को बड़ी कामयाबी मिली है। यहां पर दो दिन पहले चार नर कंकाल मिले थे। जिन्हें 5 हजार साल पुराना बताया जा रहा है। वहीं बुधवार को यहां 9 एकड़ में फैला कब्रिस्तान मिला है।
पिछले एक महीने के कार्य पर नजर डाली जाए तो 20 से अधिक कंकाल खुदाई में मिल चुके हैं। इन कंकालों पर डेकन कॉलेज पूणे और साउथ कोरिया की टीम ने रिसर्च शुरू कर दी है। साउथ कोरिया की टीम ने इन कंकाल के डीएनए की जांच शुरू कर दी है।
हड़प्पा सभ्यता के दौर के कई रहस्यों से रिसर्च में पर्दा उठने की संभावना है। पहले जहां एक दो कंकाल मिल रहे थे अब खुदाई के दौरान वहां कब्रिस्तान ही सामने आ गया है। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग हरियाणा, डेक्कन कॉलेज पुणे और सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी साउथ कोरिया संयुक्त तौर पर इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
डेकन यूनिवर्सिटी पुणे के छात्रों ने टीला नंबर सात पर खुदाई शुरू कर रखी है। इसी क्षेत्र में पहले भी कंकाल मिल चुके थे, मगर अब उन्हें खुदाई में लगातार कई कंकाल मिलने से यहां कब्रिस्तान होने के दावे की पुष्टि भी हो गई है।
मिले कंकालों में एक बात सामान्य है कि उन सभी कंकालों का सिर उत्तर दिशा की ओर पाया गया है। उनके सिर की तरफ मिट्टी के बर्तन रखे हुए मिले हैं। उनके गले में मिट्टी से बनी मालाएं मिली हैं, जिससे साफ पता चलता है कि 5 हजार साल पहले भी उन्हें सजने संवरने का शौक था। मनके व अन्य सामग्री तो पहले भी मिल चुकी है।
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग हरियाणा के सहायक संरक्षक एसपी चालिया ने बताया कि नवीनतम तकनीक की मदद से इन कंकालों का डीएनए हासिल करने का प्रयास किया जाएगा। अगर विशेषज्ञ इस काम में सफल रहे तो हड़प्पा सभ्यता का बिल्कुल सही समय और तिथि, उसका उद्भव और वर्तमान सभ्यता से उसका संबंध सहित कई अहम जानकारी मिल पाएंगी।