इस्लामाबाद /नई दिल्ली। पाकिस्तान ने अपने पडोसी चीन के साथ दोस्ती की मिसाल पेश की है। दोनों मुल्क इस दोस्ती को भारत के खिलाफ एनएसजी से लेकर तमाम मंचों पर निभाते आए हैं। चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) इसी दोस्ती का अगला कदम माना जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इस प्रोजेक्ट पर मंडराते खतरे को देखते हुए पाकिस्तान ने हर चीनी नागरिक की सुरक्षा के लिए दो जवान तैनात किए हैं। प्रोजेक्ट से जुड़े करीब 7000 चीनी नागरिकों के लिए पाकिस्तान ने करीब 15000 सैनिकों को ड्यूटी पर लगाया है।
पाक में कॉरिडोर प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचाने के लिए कई हमले हो चुके हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में काम करने वाले 7,036 चीनी कर्मचारियों की सुरक्षा में पाकिस्तान की ओर से 14,503 जवान लगाए गए हैं। सीपीईसी में काम करने वाले अधिकतर चीनी नागरिक पंजाब प्रांत में नियुक्त हैं। समझा जाता है कि इस इलाके जिहादी समूहों की जमीन ज्यादा मजबूत है। इस बाबत एक लिखित जवाब पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में दिया गया है।
असेंबली को बताया गया कि पंजाब में 6364 जवान चीन के 7036 नागरिकों की सुरक्षा के लिए नियुक्त हैं, जबकि बलूचिस्तान में 3134, सिंध में 2654, खैबर पख्तूनख्वाह इलाके में 1912 और इस्लामाबाद में 439 जवान चीन के नागरिकों की सुरक्षा के लिए नियुक्त किए गए हैं। यह लिखित जानकारी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की शाहिदा रहमान के सवाल के जवाब में दी गई।
बताया जाता है कि इस कॉरिडोर को सबसे अधिक खतरा बलूच राष्ट्रवादियों से है। जबकि इससे पहले तालिबान के समर्थक लड़ाके भी पाकिस्तान में काम करने वाले चीनी नागरिकों पर हमला कर चुके हैं। 2000 किमी. के विस्तार वाले सीपीईसी को पाकिस्तान की आर्थिक तरक्की में बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके जरिए चीन में काशगर से बलूचिस्तान में ग्वाडर पोर्ट को सीधे जोड़ा जा सकेगा।
वहीं, पाकिस्तान के लिए रणनीतिक तौर पर भी यह कॉरिडोर बहुत अहम है। प्रॉजेक्ट भारत के लिए भी अहम है क्योंकि इसके माध्यम से भारत-अफगानिस्तान पोर्ट-रोड लिंक के जरिए जुड़ जाएंगे।
हालांकि CPEC प्रॉजेक्ट पाकिस्तान के अलग-अलग क्षेत्रों में मौजूद चुनौतियों को सामना करना पड़ रहा है। CPEC के 330 प्रॉजेक्ट्स में से सिर्फ आठ बलूचिस्तान के इलाके में हैं, जहां अलगाववादी इसका विरोध कर रहे हैं।