जकार्ता। साल 1965-1966 में कम्युनिस्ट विरोधियों की हुई हत्या की जांच कर रहे एक इंडोनेशियाई संगठन ने शुक्रवार को कहा कि उसे जावा द्वीप पर 16 नई कब्रें मिली हैं, जिसमें करीब 5,000 शव हो सकते हैं। इससे पहले 122 कब्रों की खोज कर चुके नरसंहार के शिकार लोगों से संबंधित रिसर्च फाउंडेशन वाईपीकेपी-65 ने बुधवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों को नई जगहों के बारे में जानकारियां भेजी।
वाईपीकेपी-65 के प्रमुख बेदजो उन्तुंग ने समाचार एजेंसी एफे को बताया कि दो सप्ताह पहले, हम उस जगह पर पहुंचे। हमें मध्य जावा के ग्रोबोगन में बड़ी कब्रें मिलीं। उन्होंने कहा कि यह निश्चित है कि 16 बड़ी कब्रें दिखाती हैं कि सेना द्वारा 1965 में योजनाबद्ध रूप से बड़ी संख्या में हत्याएं की गईं।
उन्तुंग ने सबूतों को सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया है। उन्हें आशंका है कि जो हुआ उसे छिपाने के लिए व सबूत मिटाने के लिए कब्रों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
अप्रैल 2016 में पहली 122 कब्रें मिलने के बाद राष्ट्रपति जोको विदोदो ने उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए थे और एक महीने बाद जांच कराने की घोषणा की थी।
इंडोनेशिया में 50 साल बाद भी नरसंहार को एक कलंक के रूप में देखा जाता है। इस मामले में चल रही जांच का कोई परिणाम अभी तक नहीं निकला है, हालांकि सेना और सेवानिवृत्त जनरलों के गुट इस जांच का विरोध करते रहे हैं।
30 सितंबर, 1965 को तख्तापलट के असफल प्रयास, जिसके लिए इंडोनेशियाई कम्युनिस्ट पार्टी जिम्मेदार ठहराई जाती है, ने कम्युनिस्ट विरोधियों का नेतृत्व किया।
पिछले महीने इंडोनेशिया स्थित अमरीकी दूतावास से जारी दस्तावेजों से खुलासा हुआ कि अमेरिका को कम्युनिस्टों के नरसंहार के बारे में पता था और उसने उन्हें समर्थन दिया। नरसंहार को सेना के सहयोग से ज्यादातर नागरिक अर्धसैनिक समूहों और मुस्लिम संगठनों ने अंजाम दिया था।