लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रविवार का दिन लोगों की जिदंगी के लिए काल बनकर आया। प्रदेश में चार जपदों में हुए भीषण सड़क हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई तो 18 अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि दिन प्रतिदिन सड़क हादसों की घटनाएं निरंतर बढ़ रही है। प्रत्येक दिन में एक जनपद से तीन लोगों की मौत लगभग 10 लोगों की घायल होने की रिपोर्ट मिलती है। लेकिन रविवार के दिन करीब लगभग चार-पांच घंटे के भीतर हुए चार बड़े सड़क हादसों में 17 लोगों की मौत हो गई तो 18 गंभीर घायल है। जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बता दें कि यह सभी सड़क हादसे अलग-अलग जनपद में हुए है। सबसे पहले आगरा-मथुरा हाईवे का है। रविवार की सुबह 11 बजे करीब आईएसबीटी बस स्टैंण्ड के सामने एक बेकाबू डम्प ने ऑटो में टक्कर मार दिया। जिसमें सात लोगों की मौत की खबर मिली है।
ऐसा ही हादसा जालौन कोतवाली के पास हुआ। गिट्टी से लदा डम्पर पलट गया, जिसकी चपेट में आ जाने से एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। जिसमें मृतक पप्पू उसकी पत्नी माया बेटी नंदनी, बेटे वीरु और जय है।
जौनपुर में ट्रक और रोडवेज बस की टक्कर हो गई। इस सड़क हादसे में यात्री अशोक पाण्डेय, रमेश राय की मौके पर ही मौत हो गई तो 14 सवारियां गंभीर घायल हो गई। कानपुर देहात में शादी समारोह से वापस घर लौट रहा परिवार की कार ट्रक से टकरा गई। जिसमें आलोक (22), रजपाल उर्फ रघुनाथ (60) की मौके पर ही मौत हो गई।
इसी तरह पीलभीत में बेकाबू ट्रैक्टर-ट्राली ने दो बाइक सवारों को रौंदा, युवक की मौत, साथी गंभीर घायल हो गए। पुलिस के अनुसार जनपद में हुए सड़क हादसे में सभी घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
डॉक्टर अनिरुद्ध वर्मा और समाजसेवी का कहना है कि आये दिन सड़क हादसे की घटनाएं अखबारों से पढ़ने को मिलती है। बड़े हादसे जो भी होते हैं वह यहां सुबह के समय होते हैं या देररात्रि में। इन घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।
अखबार में नाम न छापने की शर्त पर ट्रैफिक पुलिस के बड़े अधिकारी ने बताया कि अधिकांश लोग नियमों का पालन नहीं करते है। चाहे वह कोई भी बड़ा अधिकारी हो या राजनेता, नियम सबके लिए होना चाहिए।
रही बात सड़क हादसों को रोकने लिए तो अगर ट्रैफिक नियम का पालन करते हुए वाहनों को धीमी गाति से चलाते है तो प्रदेश में सड़क हादसे रोके जा सकते हैं।