इम्फाल/नई दिल्ली। मणिपुर के चंदेल जिले में म्यांमार से लगते वन क्षेत्र में उग्रवादियों ने लारोंग के पास सेना के एक काफिले पर गुरुवार को घात लगाकर जबरदस्त हमला किया, जिसमें सेना के 18 जवान शहीद हो गए और 11 घायल हो गए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे विचलित करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि वह हमले में शहीद हुए जवानों को नमन करते हैं।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने घटना पर गहरा दुख और रोष व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। गृहमंत्री ने कहा कि मणिपुर में सेना के एक काफिले पर हमले की खबर से काफी व्यथित हूं। हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
सिंह ने इस घटना और क्षेत्र में स्थिति पर चर्चा के लिए शीर्ष अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक भी की। उन्होंने घटना में शामिल उग्रवादियों को पकडऩे और सजा देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी इसे कायराना कृत्य बताते हुए हमले की कड़ी निंदा की है और दोषियों का जल्द पता लगाकर उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
हमले के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पर्रिकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ आपात बैठक में स्थिति की समीक्षा तथा आगे की रणनीति पर चर्चा की।
इसके बाद रक्षा मंत्री के आवास पर सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अलग से भी बैठक हुई। सेना के प्रवक्ता कर्नल रोहन आनंद ने हमले में 18 जवानों के शहीद होने तथा 11 के घायल होने की पुष्टि की है।
पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठन नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल आफ नागालैंड(एनएससीएन), कांगलेई यावोल कन्ना लुप(केवाईकेएल) और कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी(केसीपी) ने सेना के एक काफिले पर किए गए हमले की जिम्मेदार ली है।
तीनों संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि एनएससीएन, केवाईकेएल और केसीपी के संयुक्त दल ने मणिपुर के चांदेल जिले में चार जून को छठें डोगरा रेजिमेंट की पांच गाडिय़ों पर हमला कर एक जेसीओ समेत 18 सैनिकों को मार दिया तथा कई सैनिकों को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया।
बयान में कहा गया है कि यह हमला करीब सुबह छह बजे शुरु किया था और नौ-दस बजे तक चला। सेना के सूत्रों के अनुसार छठें डोगरा रेजिमेंट की घातक प्लाटून के 4 वाहनों के काफिले पर सुबह लगभग 9 बजे उग्रवादियों ने उस समय घात लगाकर हमला किया जब वे लारोंगे से टेंगनोपाल लौट रहे थे।
यह काफिला सेना का मार्ग साफ करने वाले दल (आर ओ पी)का था। उग्रवादियों ने आईईडी विस्फोट, राकेट लांचरों और स्वचालित हथियारों से भारी फायरिंग की। हमले में 20 जवान मारे गए और 11 घायल हो गए। हमले में एक जेसीओ के मारे जाने की आशंका है हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
सेना के सूत्रों के अनुसार घायलों में कुछ की हालत बेहद गंभीर है और इन्हें दीमापुर स्थित सेना के अस्पताल ले जाया गया है। सेना ने घटनास्थल के आस पास के क्षेत्र को घेर लिया है और उग्रवादियों को दबोचने के लिए गहन अभियान चलाया जा रहा है।
काफिले में लगभग 50 जवान थे और इन्हें कुछ सप्ताह में अपनी यूनिट में वापस लौटना था। मोदी ने ट्वीट किया, ‘मणिपुर में हुआ कायराना हमला दुखद है। मैं देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले हर सैनिक को नमन करता हूं।
पर्रिकर ने भी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि सेना राज्य में शांति बहाल करने तथा स्थिति को सामान्य बनाने की दिशा में काम करती रहेगी। रक्षा मंत्री ने शहीद जवानों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की है। सूत्रों के अनुसार पिछले डेढ़ दशक में सेना के काफिले पर पहला ऐसा बड़ा हमला हुआ है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में जवान हताहत हुए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मणिपुर में सेना के काफिले पर हुए उग्रवादी हमले पर गहरा शोक व्यक्त किया। गांधी ने इस हमले को निंदनीय और कायराना बताया और उम्मीद जताई कि जल्द ही हमलावरों को पकड़ लिया जाएगा। उन्होंने शहीद परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि पूरा देश तथा कांग्रेस शहीदों की ऋृणि है। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।