लखनउ। तो क्या सपा प्रदेशाध्यक्ष शिवपालसिंह यादव को हाशिये में डाल दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सपा की आधिकारिक वेबसाइट पर से शिवपालसिंह यादव का नाम हटा दिया गया है और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व रामगोपाल यादव का निष्कासन पत्र भी हटा लिया गया है।
इसका यह कयास लगाया जा रहा है कि अखिलेश और रामगोपाल की पार्टी में वापसी और अखिलेश की मांग के अनुसार उनके चाचा शिवपालसिंह यादव को हाशिये में डालने की तैयारी कर ली गई है।
उत्तर प्रदेश में सपा के दंगल में जो कोहराम गुरुवार रात को अखिलेश यादव की ओर से पार्टी की मुख्य सूची से इतर अपने प्रत्याशियों की एक अलग सूची जारी करने के बाद शुरू हुआ था, उसके बाद शनिवार दोपहर तक उत्तर प्रदेश के सपा के 229 में से २०० विधायकों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव में अपना विश्वास जताया।
इसके बाद मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को अखिलेश की शक्ति का पता चल गया। शुक्रवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को पार्टी से निकाले जाने की घोषणा के बाद पार्टी दो खेमों में बंट गई। भाजपा के साथ खुद मुलायमसिंह यादव भी मुख्यमंत्री पद पर अखिलेश यादव के बने रहने और स्वयं के मुख्यमंत्री बनाए जाने के कयासो का हिस्सा रहे। अखिलेश के निष्कासन के बाद उनके समर्थक उनके आवास के बाहर एकत्रित हो गए थे।
शनिवार सवेरे तक २०० विधायकों ने अखिलेश में अपना विश्वास जताया, इसके बाद मुलायमसिंह यादव स्वयं ही परास्त से लगे। दोपहर को आजम खान और अन्य वरिष्ठ नेता मध्यस्थता में जुटे। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अखिलेश यादव अमरंिसंह के निष्कासन और १२ सितम्बर से पूर्व की स्थिति बहाल करने से कम की सूरत में सुलह को तैयार नहीं थी।
इसके अनुसार शिवपालसिंह की अध्यक्ष पद से रुखसती और अखिलेश की ही अध्यक्ष पद पर बहाली हो। दोपहर को एकाएक सपा की वेबसाइट से उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शिवपालंिसह यादव का नाम तथा अखिलेश यादव व रामगोपाल यादव का निष्कासन के लिए जारी किया गया मुलायम सिंह यादव का पत्र हट गया। इससे यही कयास लगाया जा रहा है कि कहीं ना कहीं पिता मुलायमसिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव की मांगों की ओर झुकते नजर आ रहे हैं।