मुंबई। विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश वी.वी.पाटिल ने मालेगांव बम विस्फोट 2006 के मामले में चार आरोपियों क्रमश: मनोर सिंह, राजेंद्र चौधरी, धन सिंह और लोकेश शर्मा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
इन चारों ने इस विशेष अदालत द्वारा अप्रेल में इसी मामले में आठ मुस्लिम सह आरोपियों को बरी किए किये जाने के बाद जमानत की मांग की थी। आरोपियों ने अपनी अर्जी में कहा था कि उन्हें 2006 के मालेगांव विस्फोट मामले में गलत तरीके फंसाया गया है और उनके विरूद्ध सबूत नहीं हैं।
मालेगांव बम विस्फोट 2006 के मामले में बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि एनआईए ने इन आरोपियों से जिन चीजों के बरामद होने की बात कही है, वे बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। लेकिन अभियोजन पक्ष का तर्क था कि आरोपियों के खिलाफ प्रचुर सबूत हैं जो गंभीर प्रकृति के हैं। अतएव उन्हें जमानत नहीं दी जाए।
मालेगांव में 2006 में बड़ा कब्रिस्तान के समीप हमीदिया मस्जिद के निकट जुम्मे की नमाज के बाद एक साइकिल में विस्फोट हुआ था, जिसमें 37 लोग मारे गए थे। इस मामले की सबसे पहले जांच करने वाले महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने आठ मुस्लिमों को प्रतिबंधित स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के साथ कथित संबंध के आधार पर गिरफ्तार किया था।
बाद में सीबीआई ने इस पर मुहर लगाई थी। जब असीमानंद ने एक अन्य मामले में अपने इकबालिया बयान में मालेगांव विस्फोट मामले में हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों की संलिप्तता का खुलासा किया तब एनआईए ने जांच अपने हाथ में ले ली और अब यायाधीश वी.वी.पाटिल ने चार आरोपियों क्रमश: मनोर सिंह, राजेंद्र चौधरी, धन सिंह और लोकेश शर्मा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।