नई दिल्ली। साल 2016 खत्म होने को चला और घरेलू शेयर बाजार निवेशकों के लिए कुछ खास नहीं रहा। वैश्विक घटनाक्रम और 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा नोटबंदी की वजह से यह ऐसा साल रहा जिससे शेयर बाजार निवेशकों को कोई रिटर्न नहीं मिला।
विश्लेषकों का मानना है कि कम से कम अगले छह महीने तक बाजार में सुधार की बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं दिखाई देती।
पूरे साल के दौरान कभी उपर तो कभी नीचे होने के बाद शेयर बाजार अंतत: लगभग पिछले साल के स्तर पर ही पहुंच गया।
यह लगातार दूसरा साल है जब शेयर बाजार निवेशकों की उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाया। पिछले वर्ष 2015 में तो बंबई शेयर बाजार सेंसेक्स ने निवेशकों को पांच प्रतिशत नुकसान में रखा, इस लिहाज से इस साल को कुछ बेहतर माना जा सकता है।
साल 2016 के पहले दिन यानी एक जनवरी को सेंसेक्स 26,307 अंक पर बंद हुआ था, वहीं 21 दिसंबर को सेंसेक्स 26,242 अंक पर बंद हुआ। इस लिहाज से देखा जाए, तो 2016 का साल ऐसा रहा जबकि सेंसेक्स लगभग फ्लैट रहा है।
ग्लोब कैपिटल मार्किट लि. के चेयरमैन अशोक अग्रवाल ने कहा कि इस साल वैसे तो बाजार पूरे साल उपर नीचे होता रहा, लेकिन सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद से यह लगातार नीचे आ रहा है। अग्रवाल का मानना है कि अभी कम से कम छह महीने तक सेंसेक्स में बहुत अधिक सुधार की उम्मीद नहीं दिखती।
हालांकि, अग्रवाल ने उम्मीद जताई कि सरकार बजट में करों के मोर्चे पर कुछ राहत दे सकती है, साथ ही ब्याज दरों में भी कमी आने की संभावना है। इसके बाद बाजार में कुछ तेजी आएगी।
हालांकि, इसके साथ ही वह मानते हैं कि यदि विदेशी संस्थागत निवेशक लिवाली करते हैं, तो आने वाले दिनों में बाजार की स्थिति सुधर सकती है। ऐसा भी नहीं है कि बाजार में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव आए, यह सीमित दायरे में ही रहेगा।