जयपुर। आरएसओसी सर्वे के मुताबिक राजस्थान में 5 वर्ष तक उम्र के 73 लाख 2 हजार 170 बच्चों में से 2.9 प्रतिशत कुपोषित और 22 हजार बच्चे घातक कुपोषण की स्थिति वाले हैं।
यह आंकड़ा 6 से 59 माह तक की उम्र के बच्चों का है। कुपोषण ग्रसित बच्चों की प्रदेश में बड़ी संख्या सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती है। इसके निवारण के लिए सीमेम कार्यक्रम जैसे प्रभावी अभियान चलाए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक नवीन जैन ने बुधवार को राष्ट्रीय कुपोषण प्रबंधन पर आयोजित विचार-गोष्ठी में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विचार गोष्ठी में प्रदेश में अति कुपोषण से पीड़ित बच्चों के प्रबंधन के लिए शुरू की गई अभिनव पोषण परियोजना के परिणामों की राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सहरान की है।
प्रदेश में शिशु मृत्युदर को कम करने और बच्चों में कुपोषण दूर करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। राज्य के के उच्च प्राथमिकता वाले 13 जिलों के चयनित 41 ब्लॉक में संचालित समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम (सीमेम) के बेहतरीन परिणामों को देखते हुए इसे अन्य ब्लॉक में भी लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पोषण परियोजना के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा गेन, एसीएफ एवं यूनिसेफ के सहयोग से वैश्वित मार्गदर्शिका एवं अन्तर्राष्ट्रीय मापदण्डों के आधार पर चयनित जिलों में कुपोषित बच्चों की पहचान कर 9 हजार 117 बच्चों को कुपोषण से पूर्णतः मुक्त किया गया है।